राजस्थानी पुस्तक “कद आवैला खरूंट" और “जुम्मै री नमाज” का लोकार्पण

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 11 जून 2018, 09:45 AM (IST)

बीकानेर। मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में जाने-माने कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी की दो राजस्थानी पुस्तकों का लोकार्पण हुआ।

कविता संग्रह “कद आवैला खरूंट" एवं कहानी संग्रह “जुम्मै री नमाज” का लोकार्पण प्रतिष्ठित नाटककार एवं आलोचक तथा एन.एस.डी. नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ.अर्जुनदेव चारण एवं केन्द्रीय साहित्य अकादेमी में राजस्थानी भाषा परामर्शक मंडल के संयोजक मधु आचार्य “आशावादी” के आतिथ्य में हुआ। पुस्तकों का प्रकाशन ऋचा इण्डिया पब्लिशर्स द्वारा किया गया है।

संवाद संयोजक राजाराम स्वर्णकार ने बताया कि प्रारम्भ में अतिथियों को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया । इस अवसर पर लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि राजस्थानी कविता में घावों की लूंठी परम्परा है। उनमें घावों की सराहना है। परम्परा में आज का कवि राजेन्द्र जोशी “घाव” को चरित्र के रुप में व्यक्त कर रहे हैं। यह सराहनीय बात है। कवि छिपाना जानता है उसमें आनन्द की सृष्टि होती है। परम्परा है कि जीवन में रस की तलाश रहती है। रस का छलकना उत्सव है। रचना के समक्ष यह चुनौती है, वह पाठक तक पहुंचता है या नहीं। राजेन्द्रजी को कथाकार के रूप में बात कहने का आंटा आता है। कहानी में से कहानीजन होता जा रहा है। ऐसे में ये कहानियां भरोसा दिलाती है कि कहनपन कैसा हो, लेकिन जोशीजी पाठक तक पहुंच पाठक के हृदय को स्पर्श करता है पाठक को लगता है कि उसकी बात कही गई है।



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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री मधु आचार्य ने कहा कि राज अंतिम सांसे ले रहा है फिर भी मान्यता नहीं मिली ऐसे दौर में राजेन्द्रजी की पुस्तकें राजस्थानी में आना स्वागत योग्य है। राजस्थानी भाषा को समाज से मान्यता मिली हुई है। कविताओं के शीर्षक अलग तरह के हैं जो सराहनीय है। राजस्थानी कविता उतर आधुनिकता में कदम रख रही है।

लोकार्पण समारोह के प्रारम्भ में साहित्यकार-व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि यह बीकानेर के लिए सुख देने वाला समय है शर्मा ने कहा कि राजेन्द्र जोशी अपने पहले कहानी संग्रह अगाडी के माध्यम से राजस्थानी कहानी के क्षेत्र में अपनी खास पहचान बना चुके हैं। अब दूसरा कहानी संग्रह जुम्मे की नमाज में सम्मिलित कहानियों की भाव भूमि वैविध्यपूर्ण है। यह कहानी संग्रह उनकी कहानी यात्रा का अगला पडाव है।

लेखक की यह विशेषता है कि वे हमारे आस-पास के जाने-पहचाने पात्रों, उनके दु:ख-सुख, सपनों-आकांक्षाओं को जानने के लिए उनके अंतर्मन में प्रवेश करके कहानियां रचते हैं इसलिए ये कहानियां एक ही बैठक में पढने के लिए पाठक को विवश कर देती है। इसी के साथ हिन्दी में बतौर कवि अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराकर अपने पहले कविता संग्रह “कद आवैला खरूंट” के माध्यम से राजस्थानी कविता में शानदार दस्तक दी है । ये कविताएं भाव, विचार और शिल्प के स्तर पर नवीनता लिए होने से आधुनिक राजस्थानी कविता में विशिष्ठ पहचान बनाएगी । कहानी संग्रह “जुम्मे री नमाज” पर पत्र वाचन करते हुए कथाकार-सम्पादक हरीश बी शर्मा ने कहा कि बारह कहानियों का यह संग्रह एक युग का कहन है।


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आधुनिक युगबोध की इन कहानियों को आने वाले समय में किरदारों की अलहदा छवि, कहन में प्रयोग धर्मिता और रोचकता को सराहना मिलेगी । कहानियों की सबसे बडी विशेषता है, इनके विषय हद बन्दियां तोडते हैं । आधुनिक राजस्थानी कथा साहित्य को इसी तेवर की दरकार है । इसी फ्लेवर की कहानियों से राजस्थानी कथा-साहित्य धोरा, पनघट और रीत-रिवाजों से बाहर निकल कर दुनिया के सामने आएगा।

आज राजस्थानी कथा साहित्य को दूसरी भारतीय भाषाओं के समकक्ष खडे रहने की चुनौती है तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सबल, सुदृढ और बेहतर उपस्थिति दर्ज कराने की दरकार है । इसलिए इस तरह की कहानिया चाहिए जो शिल्प और कथ्य ही नहीं कहन के सलीके में भी दो कदम आगे हो । “जुम्मे री नमाज” ऐसी ही कहानियों का संग्रह है ।


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कविता संग्रह “कद आवैला खरूंट” पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.मदन सैनी ने पत्र वाचन करते हुए कहा कि कद आवैला खरूंट राजेन्द्र जोशी की सामाजिक सरोकारों से जुडी एक ऐसी काव्य कृति है जिसमें हेत, रेत और चेत शीर्षकों के माध्यम से कवि हृदय का परिवेश गत प्यार प्रकट होता है, साथ ही नंगे यथार्थ के प्रति सचेत रहने का आह्वान भी दृष्टिगोचर होता है।

कवि अपने समय का पहरुआ है और समय के यथार्थ को ऐसे शब्दों में प्रकट करता है, जहां प्रेम की निर्झरिणी के साथ ही विडम्बना जन्य स्थितियों के त्रासद घावों से संत्रस्त कवि हृदय व्याकुल हो उठता है और कामना करता है कि शोषितों-पीडितों के घावों पर कभी न कभी खरूंट जरुर आएगा। व्यंजना स्पष्ट है कि हर कोई अच्छे दिनों की उम्मीद करता है, जबकि यथार्थ में अराजकता निरंतर आम आदमी को घायल करती जा रही है, उसके घावों पर खरूंट आने से ही खरूंट उतरेगा और घाव पुन: भर जाएगा। ऐसे सुखद स्वप्न संजोए कवि अपने परिवेश–देश और देश वासियों के मंगल की कामना हेतु अपने इष्ट से प्रश्न करता है पर समाज और इष्ट के प्रति आस्था की ये कविताएं सनातन सत्य की वाहक है, जिन्हें कालजयी कहा जा सकता है।


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लोकार्पण समारोह में चित्रकार शिवा रंगा एवं इमरोज नदीम ने राजेन्द्र जोशी को अपने हाथ से बनाए तेल चित्र भेंट किए। कार्यक्रम में कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने दोनों पुस्तकें क्रमश: अरुणा-भंवरलाल व्यास , राजकुमारी-अवनीश हर्ष, माधुरी-उमेश व्यास, मोनिका- राजेश रंगा, स्वाति-प्रशांत पुरोहित एवं माधुरी-वीरेन्द्र जोशी, मोनिका-सुनील जोशी , पूजा-अनिल जोशी, रेणु मनीन्द्र जोशी, इंजीनियर सुरेन्द्र एवं आकाश जोशी के साथ ही समाजसेवी नरेश गोयल को भेंट की।

लेखक ने दोनों संग्रहों से चुनीन्दा रचनाओं का पाठ किया । मंच का सम्मान मोतियों की माला, शॉल, मां करणी का आकर्षक चित्र एवं उनके स्वयं का चित्र भेंट कर किया गया । पत्रवाचन करने वाले श्री मदन सैनी व हरीश बी.शर्मा का सम्मान भी शॉल, मोतियों की माला एवं उनके स्वयं के चित्र को भेंट कर किया गया।


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कार्यक्रम में सखा संगम के एन.डी. रंगा, चन्द्रशेखर जोशी, ब्रजगोपाल जोशी, डॉ.मुरारी शर्मा, राजाराम स्वर्णकार, अशफाक कादरी, मुरलीमनोहर माथुर, डॉ.अजय जोशी हनुमान कच्छावा, ऋषिकुमार अग्रवाल ने राजेन्द्र जोशी को बुके, शॉल, दुपट्टा भेंट कर सम्मान किया।
इंजीनीयर निर्मल शर्मा, सीमा भाटी एवं ऋतु शर्मा ने भी लेखक का सम्मान किया। डॉ.मंजु कच्छावा, डॉ.सतीस कच्छावा ने लेखक का सम्मान किया। संचालक ज्योतिप्रकाश रंगा का शॉल, माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह देकर मंच ने सम्मान किया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.नन्दकिशोर आचार्य, व्याख्याता डॉ.गौरीशंकर प्रजापत, डॉ.रेणुका व्यास, सुमन औझा जोशी, भंवर पृथ्वीराज रतनूं, शिक्षाविद ओम सारस्वत, शिवशंकर व्यास, ओम कुबेरा, कमल रंगा, सुभाष जोशी, अनिल जोशी, भगवानदास पडिहार, डॉ.नीरज दैया, शंकरसिंह राजपुरोहित, महेन्द्र मोदी, डॉ.ब्रजरतन जोशी, नवनीत पांडे, नदीम अहमद नदीम, मोइनुदीन कोहरी, डॉ.तुलसीराम मोदी, रामेश्वर बाडमेरा आदि साक्षी बनें। आभार कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन ज्योतिप्रकाश रंगा ने राजस्थानी में किया।

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