कल्कि जयन्ती - शनिवार, 10 अगस्त 2024 कल्कि जयन्ती मुहूर्त - 16:32 से 19:09 षष्ठी तिथि प्रारम्भ - 10 अगस्त 2024 को 03:14 बजे षष्ठी तिथि समाप्त - 11 अगस्त 2024 को 05:44 बजे
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- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी - ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बांसवाड़ा। दक्षिण राजस्थान में स्थित बेणेश्वर धाम परिसर में श्रीविष्णु के कल्कि अवतार की प्राचीन मूर्ति है, कई कारणों से बेणेश्वर धाम परिसर आकर्षण का केंद्र हैं। यहां का स्वयंभू शिवलिंग खंडित है, बावजूद इसके इसकी पूजा होती है। इस शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ रहा है।
राजस्थान के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दिवंगत महारावल लक्ष्मण सिंह ने साक्षात्कार के दौरान मुझे बताया था कि वे नियमित रूप से इसकी पूजा करते रहे हैं और उन्होंने देखा था कि कुछ वर्षों में ही यह शिवलिंग करीब ढाई इंच बड़ा हो गया। यहां श्रीविष्णु के कल्कि अवतार की मूर्ति है, जिसमें घोड़े पर सवार निष्कलंक भगवान हैं, यह घोड़ा तीन पैर पर खड़ा है, धर्मधारणा है कि जब चौथा पैर धरती पर टिक जाएगा तब धरती पर कल्कि अवतार आएंगे।
यहां हर साल माही, सोम और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर सबसे बड़ा आदिवासियों का कुंभ मेला लगता है, जिसमें लाखों आदिवासी आते हैं। यहीं संगम में अस्थियां भी विसर्जित की जाती हैं। संत मावजी महाराज औदिच्यधाम बेणेश्वर के आद्य पीठाधीश्वर हैं, जिनका जन्म साबला गांव में विक्रम संवत् 1771 में माघ शुक्ल पंचमी को हुआ था।
मावजी महाराज ने भविष्यवाणियों सहित विविध धार्मिक ग्रंथ लिखे, जिन्हें मावजी 'महाराज के चौपड़े' के तौर पर जाना जाता है। मावजी की पुत्रवधू जनकुंवरी ने बेणेश्वर धाम पर सर्वधर्म-समभाव श्रीविष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था।
बेणेश्वर के लिए मावजी महाराज ने कहा था- सब देवन का डेरा उठसे, निष्कलंक का डेरा रहेसे, मतलब.... सबकुछ नष्ट हो सकता है, लेकिन- कलयुग में अवतार लेने वाले निष्कलंक का डेरा रहेगा, जहां सभी धर्मों के लोगों को आश्रय प्राप्त होगा।
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