हरिद्वार। आपने कभी सुना है कि भटके हुए देवताओं के भी मंदिर होते हैं। नहीं तो हरिद्वार जाकर भटके हुए देवता का मंदिर जरूर देखिए। गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने शांतिकुंज परिसर में यह मंदिर बनवाया है। यहां आने वाले साधक इस मंदिर में ध्यान करते हैं। इस मंदिर के अंदर पांच ब़डे-ब़डे आइने लगे हुए हैं और इन पर आत्मबोध व तत्वबोध कराने वाले वेद-उपनिषदों के मंत्र लिखे है। आइनों पर चारों वेदों के चार महावाक्य लिखे हैं, जिनमें जीव-ब्रह्म की एकता की बात कही गई है। साधक यहां आकर "सोùहं" से "अहम्" या आत्मब्रह्म तक के सूत्रों की जाप करते हैं। कहा जाता है कि यहां आकर साधकों में आत्मबोध की अनुभूति होती है। शांतिकुंज से जु़डे गायत्री भक्त कीर्तन देसाई ने बताया कि यहां नौ दिन के सत्रों व एक मासिक प्रशिक्षण शिविर में आने वाला प्रत्येक साधक आचार्य द्वारा लिखित पुस्तक "मैं कौन हूं।" में निर्दिष्ट साधना प्रणाली का सतत अभ्यास करता है।
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