वहीं अमरनाथ में ध्वनि के कारण लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में
एनजीटी के अनुसार पर्यावरण की दृष्टि से बेहद संवेदनशील होने और इलाके में
ग्लेशियरों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यहां शोर-शराबा नहीं होना
चाहिए और यात्रियों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए। एनजीटी में याचिका
देने वाले वकील आदित्य सिंघला ने आजतक को बताया कि एनजीटी ने यह आदेश वहां
के इकोलॉजिकल स्ट्रक्चर को देखते हुए दिए हैं, जिससे लैंड स्लाइडिंग की
घटनाएं न बढ़े। जब एक साथ सैंकड़ों लोग घंटिया बजाते है या फिर जयकारे
लगाते है तो वहां के पर्यावरण को नुकसान होता है। ये भी पढ़ें - सही समय पर दिखाने से एडी की बढ़ी हड्डी की सर्जरी से बच सकते है
आपको बता दें कि
पिछले महीने एनजीटी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड को श्रद्धालुओं को पर्याप्त
बुनियादी ढांचा उपलब्ध न कराने और इस मामले में दिसंबर के पहले हफ्ते में
स्टेटस रिपोर्ट न सौंपने को लेकर फटकार लगाई थी।
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