इस वर्ष की शुरूआत में ही कई ग्रहों में बदलाव हुआ है और कई ग्रह वक्री भी
हुए हैं। ऐसे में जिस राशि पर शनिदेव की कुदृष्टि रहेगी उन्हें खासतौर पर
लाल किताब के सुझाए कुछ खास उपाय करने चाहिए- ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लग्न स्थित शनि
अशुभ फल देता है। ऐसे में जातक को बंदरों की सेवा करनी चाहिए। चीनी मिला
हुआ दूध बरगद के पेड़ की जड़ में डालकर गीली मिट्टी से तिलक करना चाहिए। झूठ
नहीं बोलना चाहिए। दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि नहीं डालनी चाहिए।
शनि द्वितीय भावस्थ अशुभ फल देता हो तो जातक को अपने माथे पर दूध या दही का तिलक लगाना चाहिए और सांपों को दूध पिलाना चाहिए।
शनि तीसरे भाव में हो तो जातक को मांस, मदिरा आदि का सेवन
नहीं करना चाहिए। ऐसे में जातक को तिल, नींबू एवं केले का दान करना चाहिए।
घर में काला कुत्ता पालें एवं उसकी सेवा करें।
शनि चतुर्थ
भावस्थ में अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को कूंए में दूध डालना चाहिए। बहते
हुए पानी में शराब डालनी चाहिए, हरे रंग की वस्तुओं से परहेज नहीं रखना
चाहिए। मजदूरों की सहायता करें व भैंस एवं कौओं को भोजन दें। जातक को अपने
नाम पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए।
पंचम भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने पास
सोना एवं केसर रखना चाहिए। जातक को 48 साल से पहले अपने लिए मकान नहीं
बनाना चाहिए। साथ ही नाक व दांतों को साफ रखना चाहिए। लोहे का छल्ला पहनने
से व साबुत हरी मूंग मंदिर में दान करने से शनि की पीड़ा कम होगी।
षष्ठ भाव
से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को चमड़े एवं लोहे की वस्तुएं खरीदनी
चाहिए। इस भाव में जातक को 39 साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना चाहिए।
सप्तम भाव
से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को शहद से भरा हुआ बर्तन कहीं सुनसान
जगह में दबाना चाहिए। बांसुरी में चीनी भरकर कहीं सुनसान जगह में दबाएं। इस
भाव में शनि हो तो जातक को बना बनाया मकान खरीदना चाहिए।
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