ललिता पवार हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री थी। ललिता पवार ऐसी पहली अभिनेत्री थी जिन्होंने अभिनय की यात्रा का सात दशक लंबा सफर तय किया। भारतीय नारी का जीवन जीते हुए एक संजीदा कलाकार जिन्होंने सिनेमा को कई यादगार फिल्में दी। भारतीय सीने इतिहास में ललिता पवार एक ऐसी अभिनेत्री थी जिनका नाम सुनते ही सख्त मां, कड़क और तेज तर्रर सास जैसी भूमिका निभाई थी। अपने 70 साल के फिल्मी सफर में उन्होंने कई अविसणीय भूमिका निभाई लेकिन, टेलीविजन धारावाहिक रमानंद सागर की रामायण में निभाया गया मंथरा का किरदार इतिहास के पन्नों में दर्ज है। यह उसी तरह प्रसिद्ध है जिस तरह भगवान राम। रामायण का जिक्र आते ही राम के बाद मंथरा का जिक्र किया जाता है। मंथरा के रूप में अपनी कुटिल मुस्कान, झुकी हुई कमर और चेहरा उठा कर बोले गए संवाद उनकी अभिनय क्षमता का द्योतक है।
ललिता पवार यानी बॉलीवुड की सबसे खतरनाक सास और पहली ‘वैंप’। फिल्म ‘जंगली’ की सख्त मां, ‘श्री 420’ की केला बेचने वाली, ‘आनंद’ की संवेदनशील मातृछवि और ‘अनाड़ी’ की मिसेज डिसूजा सहित अनेक चरित्रों की जीवंत छवियों को कैसे भूला जा सकता है।
वो एक ऐसी अदाकारा रही जिन्हें शूटिंग के दौरान हुए एक हादसे के बाद लीड रोल मिलने बंद हो गए, लेकिन शायद यही उनके लिए अच्छा भी रहा। क्योंकि चरित्र अभिनय के दम पर उन्हें 1959 में आई राजकपूर की फिल्म ‘अनाड़ी’ में अपने रोल के लिए सहायक अभिनेत्री का फिल्म फेयर अवार्ड मिला।
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