भीलवाड़ा। जिले के महात्मा गांधी चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को डाक्टरों की कमी के चलते इलाज के बदले निराशा ही हाथ लग रही है। यहां दूर दराज से भी काफी संख्या में मरीज ईलाज के लिए आते हैं लेकिन उनकों चिकित्सक की खाली सीट ही यहां मिल पाती है। जिसके कारण उन्हे निराश होकर दूसरे अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है। यहां भी उनकी परेशानी कम नहीं होती। दूसरी जगहों पर इलाज के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है। [# इस गांव में अचानक लग जाती है आग, दहशत में लोग] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
जहां एक ओर निजी चिकित्सालयों में रोगियों को अच्छी सुविधा देने के लिए होड मची हुई, वहीं जिले के सबसे बडे अस्पताल में चिकित्सकों के पद ही रिक्त पड़े हुए हैं। इसके चलते जो कुछ चिकित्सक यहां कार्यरत हैं उन्हें क्षमता से अधिक मरीजों को देखना पड़ रहा है। महारात्मा गांधी चिकित्सालय में इलाज के लिए आए मरीजों का कहना है कि यहां हम सुबह यहां आए थे, लेकिन दोपहर तक भी डाक्टर को दिखाने का नम्बर नहीं आ पाया है। चिकित्सकों की कमी होने के कारण कई बार चिकित्सक आउटडोर में अपना समय नहीं दे पाते।
अस्पताल के पीएमओ डा. एस. पी. आगीवाल कहते है कि अस्पताल में 104 पद चिकित्सकों के स्वीकृत हैं। जिसमें से अभी केवल 54 पद ही भरें हुए हैं। इनमें से भी अगर कोई चिकित्सक छुट्टी ले लेता है तो हमें काफी समस्याओं को सामना करना पड़ता। अस्पताल में संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन चिकित्सक की कमी के कारण उनका उपयोग नहीं हो पाता है। वहीं जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद शर्मा ने कहा कि सरकार ने पिछले दिनों यहां पर चिकित्सकों को लगाया था, लेकिन उन्होने कार्य करने से इंकार कर दिया। जिसके कारण यहां चिकित्सकों की कमी आई है। चिकित्सकों की कमी पूरी करने के लिए हम प्रयासरत है।
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