जोधपुर। रियासत काल के बाद से ही राजस्थान का पश्चिमी हिस्सा हमेशा उपेक्षित रहा। ये पीड़ा आज भी जनमानस में पल रही है और अब राज्य के मारवाड़, आधा मेवाड़ और मालाणी में ‘मरुगूंज’ ने दस्तक दे दी है। दरअसल मरुगूंज का विचार रोहित उपाध्याय के मन में आया और धीरे-धीरे स्टूडेंट्स और फिर साहित्यकार, लेखक, न्याय प्रणाली, राजनीति वर्ग से लोग जुड़ते गए। रोहित बताते हंै कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब पोकरण से जोधपुर आईं, तब उन्होंने कहा था कि वास्तव में राजस्थान को दो हिस्सों में बांटने की आवश्यकता है । उपाध्याय बताते हैं कि असल में तो इस क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की मांग आजादी के समय से ही हो गई थी लेकिन, राजनीति ने हमें उपेक्षा का शिकार बना दिया। आज यहां भेदभाव की सारी हदें पार हो गई हैं। न रिफायनरी न ही कुछ विकास के बिंदु, सब कुछ गौण हो गए। मरुगूंज से जुड़ी दीपशिखा कहती है कि हाल में जोधपुर के जोजरी रिवर प्रोजेक्ट को ना कहने और स्मार्ट सिटी से बाहर रखने की राजनीति ने हिलाकर रख दिया है। अब मरुगूंज लोगों के दिलों में दस्तक दे रही है और राजनीति की हर उस बारीकी को बता रही है कि अलग राज्य बनने से हमें क्या नफा और नुकसान होगा। मरुगूंज के साथी तक्षेन्द्र शर्मा कहते हैं कि राजनीति ने इस क्षेत्र को छिन्न-भिन्न कर दिया और अब मरुगूंज ऐसे आंदोलन की तरफ अग्रसर है जो दूरगामी परिणाम देगा।
अलग राज्य की पहल है मरुगूंज
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