जयपुर। नोटबंदी के बाद सोने पर सीमा शुल्क में कमी और राहत की उम्मीद लगाए बैठे ज्वैलर्स को बजट से खासी निराशा हाथ लगी है। ज्वैलर्स का कहना है कि नोटबंदी के बाद ज्वैलरी कारोबार पटरी से उतर गया था। अब बजट में तीन लाख रुपए से अधिक के कैश ट्रांजेक्शन पर रोक लगा दी गई है। इससे ज्वैलरी कारोबार को बड़ा झटका लगेगा। खासकर ग्रामीण इलाकों में ज्वैलरी कारोबार में कमी आएगी। बिना बिल के कारोबार बढ़ेगा। सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा। ज्वैलर्स का कहना है कि ज्वैलरी कारोबार में पांच लाख रुपए तक का कैश लेन-देन आम बात है। ऐसे में तीन लाख की कैप कारोबार के लिहाज से नुकसान देह होगी। एक अपे्रल से तीन लाख से ज्यादा के कैश लेन-देन पर रोक और डिजिटल खरीद पर चार्ज से रत्न आभूषण कारोबार प्रभावित होगा। आभूषणों की मांग में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि नोटबंदी के बाद कारोबार में 70 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। अब यह गिरावट और तेजी हो सकती है। सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी जयपुर के अध्यक्ष कैलाश मित्तल ने कहा कि बजट प्रस्तावों से ज्वैलर्स को खास फायदा नहीं मिलेगा। कैश ट्रांजेक्शन की सीमा तय करने से व्यवसायी बिना बिल के कारोबार को मजबूर हो सकते हैं। कालाबाजारी बढ़ सकती है। इससे सरकार की कैशलेस ट्रांजेक्शन की मुहिम को झटका लग सकता है। वहीं, श्रीराजस्थान सर्राफा संघ के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने कहा कि चांदी की कीमतें काफी ज्यादा होती है। इस वजह से तीन लाख रुपए से ज्यादा से ज्यादा का कैश ट्रांजेक्शन इस सेक्टर में आम बात है। इस प्रस्ताव पर सरकार को फिर से विचार करना चाहिए, इसका ज्वैलरी कारोबार पर बुरा असर पडऩे की आशंका है।
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