रेवाडी। आरक्षण को लेकर इनेलों के नेताओं में मतभेद सामने आ गए हैं। इनेलो यूथ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अभिमन्यु राव समेत ओबीसी की जातियों ने ने जाटों को आरक्षण देने का विरोध किया है। साथ ही जाट आंदोलन प्रकरण में जाट समुदाय के सामने सरकार के झुकने पर ओबीसी समान ने कडा विरोध दर्ज कराया है। [# एसवाईएल मुद्दे पर मंत्री अनिल विज ने ये क्या कह दिया.,...] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
आज इनेलो नेता अभिमन्यु राव के नेतृत्व में ओबीसी में शामिल अलग अलग समाज के प्रतिनिधियों ने प्रेसवार्ता कर कहा की अगर सरकार नाजायज मांगों पर भी सरकार एक समुदाय का समर्थन करती रहेगी तो वो भी सड़कों पर आने से पीछे नही हटेंगे। ओबीसी समाज के लोगों ने संयुक्त रूप से मांग की सरकार जातिगत आधार पर नौकरियों को लेकर श्वेतपत्र जारी करें ।
इनेलो नेता अभिमन्यु राव इनेलो यूथ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष है। उन्होंने बगावती तेवर दिखाते हुए ना केवल सरकार के जाटों के समर्थन में फैसलों पर रोष वक्त किया बल्कि अपनी ही पार्टी के नेता अभय चौटाला के बयान पर भी रोष जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें पार्टी से इस्तीफा देकर ये बयान देना चाहिए था कि जाति पहले है और पार्टी बाद में है। उन्होंने कहा की इनेलो इसी तरह उन पर अपने आदेश थोपती रहेगी तो वो इस्तीफा दे देंगे। बाकी इनेलो नेताओं को भी ऐसा ही करना चाहिए।
उन्होने कहा कि सामाजिक और शिक्षण तौर पर पिछड़े लोग आरक्षण के हकदार है। जाट समुदाय के लोग सामाजिक ,शिक्षण और राजनीतिक तौर पर पिछड़े नही है। उन्होने एक आंकड़ा पेश कर भी जाटों के आरक्षण मांगे जाने पर सवाल खड़े किए। प्रेस कान्फ्रेंस में साथ ओबीसी समाज के प्रतिनिधियों ने तर्क दिया कि जाट समुदाय की केवल 16 प्रतिशत आबादी है लेकिन 39 प्रतिशत आईएएस, 37 प्रतिशत आईपीएस, 42 प्रतिशत एचसीएस , 62 प्रतिशत आईएफएस , 37 प्रतिशत एचपीएस जाट समुदाय के लोग है। ऐसे में उनकी मांग है की जातिगत आधार पर नौकरी के आंकडॉ पर सरकार श्वेतपत्र जारी कर किसी भी समाज को आरक्षण दें ।
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