जोधपुर। केंद्र सरकार ने नोटबंदी में 50 दिनों के वादे की बात पर 50 वादे किए और उन्हें तोड़ भी दिया। हालात ये हुए कि अब भी बैंकों में ही नहीं एटीएम के आगे कतार कायम हैं। लेकिन सवाल ये है कि अब तक बैंकों के पास उतने पैसे क्यों नहीं आए, जितने लोगों को चाहिए। मंगलवार रात की बात है, एक एटीएम में लोग कतार लगाए खड़े थे और दूसरा उजड़े चमन की तरह सुनसान था। जाहिर सी बात है वहां खजाना खाली था। इस तरह एक नहीं, शहर में 80 फीसदी एटीएम के यही हाल हैं। ऐसे में बाजार भी धीमी रफ्तार से चल रहा है । जानकारों की मानें तो इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि सरकार की मंशा बेहतर के लिए रही है। ऐसे में जितना धैर्य जनता ने रखा उसी धैर्य के साथ बैंकों का खजाना भी भर देना चाहिए। अब तक बैंकों का खजाना खाली है और इसी वजह से बैंकों की साख पर बट्टा भी लग रहा है क्योंकि उन पर धनकुबेरों के काले पैसे को सफेद करने पर कई आरोप लगे हैं। आरोपों के पीछे वजह भी है, अब तक देश का कोई धनकुबेर कतार में नहीं आया, तो क्या सारे लोगों की पूंजी एक नंबर की है। इस बात पर कतई विश्वास नहीं होता और इन्ही कारणों से लोगों के जेहन में अब अविश्वास पैदा हो रहा है। [@ क्या ये ड्यूटी भी बन सकती है मौत का कारण, जानकार हैरान रह गए सभी]
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