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ग्यारह बेटियों पर नाज कर रहा है मेवात, दे रही है समाज को सीख

Mewat is giving up on eleven daughters, giving society to learn - Nuh News in Hindi

मेवात । जिले के चंदेनी निवासी मरहूम रियाज खान के घर में पैदा हुई एक के बाद एक ग्यारह बेटियां मिसाल हैं। घर में लगातार जन्म ले रही बेटियों को देखकर ,बेटे की हसरत मन में थी। बेटियों ने प्यार और कामयाबी की मंजिलों को छूते हुए समय के साथ माता रसीदा बेगम और पिता मरहूम रियाज खान को इस बारे में सोचने तक का भी समय नहीं दिया। बेटियां बड़ी होती गई और अपनी काबिलियत को साबित करते हुए माँ -बाप का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।

वैसे तो मेवात जैसे तालीम में फिसड्डी जिले में यह मुकाम हांसिल करना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन नजर आता है ,लेकिन रियाज खान की बेटियों ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। शिक्षा का यह सिलसिला तब जारी हुआ जब ,बेटियों की तालीम को लेकर माँ -बाप को तरह -तरह के ताने सुनने पड़े। रियाज खान ने हिम्मत से काम लिया और बेटियों तौर पर पेश कर पूरे देश के लोगों को सीख दे दी।
दरअसल मेवात जिले के चंदेनी गांव में जन्में रियाज खान वक्फ बोर्ड पंजाब में नौकरी लगे। रियाज खान अपनी पत्नी रसीदा बेगम के साथ बटाला पंजाब में जाकर नौकरी करने लगे। बड़ी बेटी नफीसा रियाज ने पंजाब में जन्म लिया और किताब बस्ता लाद कर स्कूल का रुख किया। उसके बाद 11 बहनों ने बड़ी बहन और माता -पिता के दिखाए रास्ते पर चलकर समाज में गलत सोचने वालों को करारा जवाब दिया।
आपको बता दें कि नफीसा रियाज डबल एम ए तक शिक्षित हैं ,और बहन शबनम के साथ सरकारी स्कूल सालाहेड़ी में शिक्षिका हैं। अफ़साना ,फरहाना ,शहनाज ,इशरत जहाँ ,नुसरत जहाँ ,अना रियाज ,रजिया और बसरा के अलावा एक और अन्य बहन सहित कुल 11 बहनें हैं। सब एक से बढ़कर एक शिक्षित हैं। ज्यादातर सरकारी और निजी स्कूलों में अध्यापिका हैं। पढ़ लिख कर मेवात में ही शिक्षा की अलख जगाने का फैसला लेकर उन्होंने सराहनीय काम किया है।
बेटियां तो बेटियां रसीदा बेगम को जो अब तक 9 दामाद मिले हैं ,उन्होंने बेटियों के साथ मिलकर बेटों की कमी कभी महसूस ही नहीं होने दी। छोटी बहनों की शादी में पतियों के साथ मिलकर बेटियों ने शादी से लेकर हर जिम्मेवारी को भुला दिया। बेटियां पूरे अदब के साथ स्कूटी से देहाती इलाके में स्कूल ,बाजार इत्यादि जगह पर जाती हैं। माता रसीदा को बेटियों पर नाज है ,और बेटों से बढ़कर बेटियां उनके लिए साबित हुई हैं।
होनहार बेटियों को पहचान दिलाने वाले पिता रियाज खान करीब 4 साल पहले दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ गए। उससे पहले उन्हें बिजली का करंट लगने की वजह हाथ कटवाना पड़ा था। पिता की मौत के बाद बड़ी बेटियों ने दामादों के साथ मिलकर छोटी बहन की शादी से लेकर सबसे छोटी बुसरा को तालीम दिलाने का बीड़ा उठा लिया। पिता ने गाढ़े खून की कमाई से बेटियों को तालीम ऐसी दिलाई कि ,उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो गया।

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Web Title-Mewat is giving up on eleven daughters, giving society to learn
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