इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में एक साक्षात्कार में खुलासा किया है कि उनका नेतृत्व पाकिस्तानी तालिबान के संपर्क में है और उन्हें हथियार डालने के लिए राजी करने की दिशा में काम कर रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
खान ने खुलासा करते हुए कहा, "वास्तव में, मुझे लगता है कि कुछ टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) समूह शांति के लिए, कुछ सुलह के लिए हमारी सरकार से बात करना चाहते हैं और हम कुछ समूहों के साथ बातचीत कर रहे हैं।"
खान ने कहा, "अफगान तालिबान भी इस प्रक्रिया में हमारी सरकार की मदद कर रहे हैं।"
खान ने यह भी खुलासा किया कि उनकी सरकार और टीटीपी के बीच अफगानिस्तान में बातचीत हो रही है।
प्रधानमंत्री की टिप्पणी से पाकिस्तान में स्थानीय लोगों में गुस्सा फूट पड़ा, जो उन्हें स्कूलों, बाजारों, मस्जिदों और अन्य स्थानों पर हुए घातक हमलों की याद दिला रहे हैं, जिसमें उसी टीटीपी के हाथों हजारों निर्दोष लोग मारे गए हैं, जिनसे वह बात कर रहे हैं और उन्हें देश के सामान्य नागरिक बनने की पेशकश कर रहे हैं।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मर्दन के स्थानीय निवासी नुमाइश खान ने कहा, "पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) में हमारे बच्चों की हत्या करने वाले आतंकवादी, मस्जिदों में नमाज अदा करने वाले निर्दोष मुसलमानों की हत्या करने वाले, हमारे हजारों सैनिकों को मारने वाले, जिन्होंने मारने के लिए बाजारों और धार्मिक स्थलों पर आत्मघाती हमलावर भेजे हैं.. इमरान खान कहते हैं कि वह उनसे बात कर रहे हैं? वह ऐसे अमानवीय लोगों से बात करने के बारे में सोच भी कैसे सकते हैं? वह उन्हें सामान्य नागरिक होने की पेशकश कैसे कर सकते हैं और वह उन्हें उनके अपराधों पर छूट कैसे दे सकते हैं?"
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का मानना है कि समस्या का कोई सैन्य समाधान नहीं है, इसलिए सैन्य विरोधी समाधान के लिए पाकिस्तानी तालिबान के साथ बातचीत ही एकमात्र विकल्प है।
इमरान खान ने कहा, "मैं दोहराता हूं, मैं सैन्य समाधान में विश्वास नहीं करता। इसलिए, मैं हमेशा मानता हूं कि राजनीतिक संवाद आगे का रास्ता है जो अफगानिस्तान में था।"
खान के खुलासे एक पृष्ठभूमि के साथ सामने आए हैं, जब राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तालिबान को हथियार डालने और उनके अपराधों के लिए क्षमा करने की पेशकश की है।
हालांकि, विदेशी मंत्री और राष्ट्रपति के प्रस्ताव को टीटीपी ने खारिज कर दिया था, जिन्होंने कहा कि वे माफी मांगने में विश्वास नहीं करते हैं, क्योंकि वे जो करते हैं वह अपराध नहीं है, बल्कि इस्लाम और शरीयत के वर्चस्व के लिए एक धार्मिक जिहाद है। (आईएएनएस)
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