लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति का पालन करते हुए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) घोटाले में एक प्राथमिकी दर्ज कर दो वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। राज्य सरकार ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का भी निर्णय लिया है। शनिवार शाम गिरफ्तार किए गए दोनों अधिकारी ईपीएफ की धनराशि को निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फायनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंसाने के आरोपी हैं। इस कंपनी का संबंध माफिया डान दाऊद इब्राहिम के सहयोगी मृत इकबाल मिर्ची से है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री कार्यालय (लखनऊ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फोन पर कहा कि योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार के स्वामित्व वाले यूपी पॉवर सेक्टर इम्प्लाईस ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई वित्तीय अनियिमितता को बहुत गंभीरता से लिया है, जिसने ट्रस्ट के 2631 करोड़ रुपए को एक विवादास्पद कंपनी के साथ निवेश करते समय नियमों का उल्लंघन किया।
गिरफ्तार अधिकारियों की पहचान पॉवर सेक्टर इम्प्लाईस ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और उप्र विद्युत निगम के तत्कालीन निदेशक (फायनेंस) सुधांशु द्विवेदी के रूप में हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित की जाएगी। हालांकि तबतक उप्र पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) मामले की जांच जारी रखेगी।
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