बाराबंकी। जनपद के नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित सेंट एंथनी स्कूल में सोमवार की सुबह रोज़ की तरह स्कूल खुला था। लेकिन इस बार वो माहौल सामान्य नहीं रहा। सुबह 7:15 बजे के आसपास अखिल प्रताप सिंह, जो 7वीं कक्षा का छात्र था, अपने पिता जितेंद्र प्रताप सिंह के साथ स्कूल पहुंचा। जैसे ही अखिल ने कार से उतरकर बैग कंधे पर लटकाया, वह लड़खड़ाने लगा। पिता कुछ समझ पाते उससे पहले ही उसके मुंह से उल्टियाँ शुरू हो गईं और वह बेसुध हो गया। बदहवास पिता ने बेटे को गोद में उठाया और पास ही की सीढ़ियों पर बैठ गया।
स्थानीय लोग मदद को दौड़े और तुरंत नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने अखिल को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद भी पिता ने उम्मीद नहीं छोड़ी और बेटे को लेकर लखनऊ के एक निजी अस्पताल भागे, परंतु वहां भी डॉक्टरों ने सिर्फ निराशा ही दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इकलौता बेटा था अखिल, पिता व्यापारी और मां शिक्षिका
बाराबंकी के घेरी बिशुनपुर निवासी जितेंद्र प्रताप सिंह एक व्यापारी हैं, जबकि उनकी पत्नी एक शिक्षिका हैं। अखिल उनकी इकलौती संतान था। एक होनहार, चंचल और पढ़ाई में आगे रहने वाला बच्चा।
टेलीफोन पर बातचीत में जितेंद्र ने बताया, “मेरा बेटा पूरी तरह स्वस्थ था। न कोई बीमारी थी, न कोई दवा चल रही थी। सुबह हँसते हुए स्कूल आया था। मुझे क्या पता था कि उसी की गोद में उसकी अंतिम सांसें होंगी।”
घटना का वीडियो वायरल, विद्यालय प्रबंधन ने जताया दुख
घटना के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में पिता की गोद में तड़पता मासूम और उसकी बेबसी देख हर आंख नम हो गई। स्कूल प्रबंधन ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए स्कूल में अवकाश घोषित कर दिया और कहा कि वे परिवार के साथ हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों की आंखों देखा हाल
बॉलीबॉल संघ के सचिव पवन सिंह, जो सुबह मॉर्निंग वॉक से लौट रहे थे, ने बताया: “मैंने जितेंद्र जी को सीढ़ियों पर बेटे को गोद में लिए बैठे देखा। हम तुरंत मदद को पहुंचे और अस्पताल ले गए, लेकिन वहां तक पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।”
डॉक्टरों के अनुसार मौत के संभावित कारण
हालांकि अखिल का पोस्टमार्टम नहीं हुआ, इसलिए मृत्यु का वास्तविक कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं है। लेकिन इस असामयिक मौत ने चिकित्सा जगत को भी स्तब्ध कर दिया है।
मेयो कॉलेज, लखनऊ के सीनियर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद काशिफ ने बताया: “इस उम्र में हार्ट अटैक की संभावना बहुत ही कम होती है। संभवतः ब्रेन हेमरेज या कार्डियक अरेस्ट कारण हो सकता है। हालांकि बिना पोस्टमार्टम के कुछ कहना कठिन है। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं।”
समाज और सिस्टम के लिए चेतावनी है यह मौत
अखिल की अचानक मौत सिर्फ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे सिस्टम, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और स्कूली वातावरण की कठोरता पर सवाल खड़े करती है। क्या स्कूल के पहले दिन इतने दबाव में बच्चे आ जाते हैं? क्या भीषण गर्मी के बाद शरीर अचानक शारीरिक लय में नहीं आ पाता? क्या हर स्कूल में मेडिकल इमरजेंसी के लिए कोई इंतज़ाम होना चाहिए?
इन सवालों के जवाब तलाशने का वक्त आ गया है।
'स्कूल बैग के बोझ से पहले ही दब गए थे हम'
अखिल की मौत ने एक बार फिर इस बहस को ज़िंदा कर दिया है कि बच्चों पर पढ़ाई और स्कूल बैग का बोझ कितना सही है? स्कूल खुलते ही बिना किसी "फिजिकल फिटनेस चेक" या "रिकवरी पीरियड" के बच्चे सीधे क्लास में डाल दिए जाते हैं।
क्या सिस्टम को बच्चों के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक हालात का ख्याल रखना चाहिए?
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
अखिल का अंतिम संस्कार पूरे गांव की मौजूदगी में हुआ। ग्रामीणों ने भारी मन से उसे विदाई दी। हर कोई यह सोचकर सिहर उठा कि जो बच्चा स्कूल के पहले दिन उत्साह से भरा हुआ था, वो इतनी जल्दी इस दुनिया से चला गया।
पीएम मोदी ने की टीवीएस मोटर कंपनी के चेयरमैन से मुलाकात, कहा- कच्छ की खूबसूरती दिखाने के उनके प्रयास सराहनीय
पाकिस्तान में मानसून का कहर, 200 से अधिक लोगों की मौत
नई दिल्ली: मानसून सत्र से पहले सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक आज, विपक्ष से मांगा सहयोग
Daily Horoscope