भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने आज रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व कार्यकर्ता सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कांग्रेस की फ्लॉप रेली मे राहुल गांधी के बयान मैं राहुल सावरकर नहीं हूं, राहुल गांधी हूं। इस पर पलटवार करते हुए कहा वीर सावरकर का नाम राहुल गांधी के नाम के साथ जोड़ने से सावरकर का अपमान होता है । गांधी टाइटल से कोई महान नहीं होता। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गांधी खानदान महात्मा गांधी के पांव की धूल के कण के भी बराबर नहीं है। इस खानदान की नौटंकी समाप्त होने का समय आ गया है। राहुल गांधी इतिहास की ऐसी भूल है, जिसने कांग्रेस को समाप्त करने का प्रण लिया है। गांधी जी ने भी कहा था कांग्रेस को समाप्त कर देना चाहिए। आज राहुल गांधी उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए इस तरह के वक्तव्य दे रहे हैं। ये कांग्रेस के बहादुर शाह जफर सिद्ध होंगे। वैचारिक रूप से कांग्रेस को और गांधी खानदान को जनता ने नकार दिया है। इनके पेट में तकलीफ यह है कि जो देशभक्त नाम और अनाम लोग थे, आज उनका महिमामंडन होता है, तो इन्हें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अनर्गल बयान बाजी करनी पड़ती है, ताकि यह लोग जनता को भ्रमित कर सकें। किंतु जनता अब इनके बहकावे में नहीं आएगी। भारतीय जनता ने देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में सौंप रखा है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा रैली में आर.एस.एस व भाजपा पर दिए गए वक्तव्य पर कहा जब मुख्यमंत्री जी बोलते है तो लोग इधर- उधर उठकर जाने लगते हैं । उन्हें उबासी आने लगती है । नींद आने लगती है । कारण उनका भाषण घिसा पिटा और हर बार रटा- रटाया ही बोलते रहते हैं। यह मुख्यमंत्री कि पुरानी आदत है। वे अपने हर भाषण और वक्तव्य में भाजपा और आर.एस.एस को कोसने का ही काम करते हैं, जबकि राज्य की बुनियादी समस्याओं की ओर उनका ध्यान जाता ही नहीं है । प्रदेश की जनता समस्याओं से त्रस्त है । राज्य का विकास पूर्णतया ठप पड़ा है। जिसके चलते मुख्यमंत्री गहलोत जनता का ध्यान भटकाने के लिए सदैव अमर्यादित और विवादास्पद बयान देते रहते हैं।
डॉ पूनिया ने कहा कि पिछले दिनों मैं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रसंघ कार्यालय का उद्घाटन करने गया तो वहां पर एक हरे रंग का पोस्टर लगा हुआ था। जिस पर लिखा हुआ था रन फ़ॉर वन। मैने उस पोस्टर के लिए पूछा तो बताया गया कि जो विद्यार्थी दौड़ेगा वह साथ ही पेड़ लगाने का प्रण भी लेगा। वहां 1100 पेड़ लगाए गए। मुझे लगता है । ये असली विद्यार्थी परिषद के संस्कार हैं, जो पर्यावरण की चुनौती को इस तरीके से क्रियान्वित करने की कोशिश करते हैं ।चुनौतियां अभी और भी बहुत हैं। आदिवासी क्षेत्र में देखेंगे तो आपको पता लगेगा। ऐसा नहीं है कि सरकार बन गई तो सारी समस्याओं का निदान हो गया, सरकार ने बहुत सारे काम किए हैं और अब उनके उत्थान के लिए और भी कुछ करना है।
एक सपना तो हम सब लोगों का पूरा हुआ, जिसमें हम नारा लगाते थे कि जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है। वास्तव मैं अभिनंदन करूंगा हमारे प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी का 48 घंटे में 70 वर्षों की समस्या का समाधान कर दिया और भारत को एक ताकत दी।
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