जयपुर। जनकपुरी ज्योति नगर दिगम्बर जैन मंदिर में रविवार को दशलक्षण महापर्व का अंतिम दिन "उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म" एवं 12 वे तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का निर्वाण दिवस मनाया गया साथ ही अनंत चतुर्दशी पर्व भी मनाया गया। इस अवसर पर मूलनायक नेमिनाथ भगवान के स्वर्ण एवं रजत कलशों से कलशाभिषेक किये गए, इस दौरान करीब 500 से अधिक श्रद्धालुओं ने श्रीजी के कलशाभिषेक किये और त्यागी-व्रतियों और एक सौभाग्यशाली परिवार को आर्यिका गौरवमती माताजी के मुखार्विन्द शांतिधारा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिसके पश्चात् अनंत चतुर्दशी एवं उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के शुभावसर पर 24 तीर्थंकर भगवान की साजो-बाजो के साथ विधान - पूजन किया गया और अनंत चतुर्दशी की पूजन - अर्चना कर अर्घ चढ़ाये गए। रविवार को 1000 से अधिक श्रद्धालुओं ने दशलक्षण पर्व पर पूजन - अर्चना की और अनंत चतुर्दशी के अवसर पर सभी जैन श्रावकों ने उपवास रखे एवं सभी तरह के पद-प्रतिष्ठान भी बंद रखे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि सोमवार को अनंत चौदस और उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस के विधान पूजन के दौरान 12वे तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी के मोक्षकल्याणक पर्व के अवसर पर निर्वाण लडडू चढ़ाया गया। इससे पूर्व सभी श्रावकों ने निर्वाणकाण्ड पाठ के उच्चारण के साथ जयमाला अर्घ का गुणगान कर मोक्ष कल्याणक अर्घ के साथ निर्वाण लाड्डू चढाये।
इस बीच उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर अपने उपदेश में गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ने कहा कि "भोगो को इतना भोगा कि खुद को ही भेग बना डाला, साध्य और साधना का अंतर मैने आज मिटा डाला।"
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