जयपुर। लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में राजस्थान की सात सीटों के बारे में जोरदार चर्चा हो रही है क्योंकि इन पर काँग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता आमने-सामने होंगे। भाजपा ने अब तक राज्य की 25 में से 15 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। कांग्रेस ने 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय किये हैं।
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भाजपा ने सोमवार को दिल्ली में अपनी कोर ग्रुप कमेटी की बैठक बुलाई है। काँग्रेस की अगली सूची भी जल्द आने की उम्मीद है। इन घटनाक्रमों के बीच राज्य की सबसे चर्चित सीट चूरू है जहाँ भाजपा ने काँग्रेस के राहुल कास्वां के खिलाफ पैरालंपियन देवेंद्र झाझरिया को मैदान में उतारा है। कास्वां पूर्व भाजपा सांसद हैं, जिन्होंने लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद भगवा पार्टी छोड़ दी थी।
झाझरिया के लिए, यह चुनाव एक नई पारी है। अब यह सीट भाजपा के साथ-साथ काँग्रेस के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। दूसरी सीट बीकानेर है जहाँ मुकाबला मेघवाल बनाम मेघवाल है।
भाजपा ने फिर से अर्जुन राम मेघवाल को मैदान में उतारा है, जो लगातार दो बार सांसद रहे हैं और केंद्रीय कानून मंत्री होने के साथ-साथ राज्य का मजबूत दलित चेहरा भी हैं। काँग्रेस ने राज्य की अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गोविंद मेघवाल को मैदान में उतारा है। उनकी गिनती राजस्थान काँग्रेस के बड़े दलित नेताओं में होती है। तीसरी सीट जोधपुर की है जहाँ भाजपा ने गजेंद्र सिंह शेखावत को काँग्रेस के करण सिंह उचियारड़ा के खिलाफ मैदान में उतारा है। यहाँ राजपूत बनाम राजपूत है।
भाजपा ने तीसरी बार भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद चेहरे शेखावत पर अपना विश्वास बरकरार रखा है। जोधपुर पूर्व सीएम अशोक गहलोत का गृह निर्वाचन क्षेत्र है, हालाँकि कांग्रेस ने शेखावत के खिलाफ पायलट के वफादार करण सिंह उचियारड़ा को मैदान में उतारा है। उन्होंने कांग्रेस में विभिन्न पदों पर काम किया है। दो राजपूत नेताओं के बीच होने वाले इस मुकाबले पर मतदाताओं की पैनी नजर है।
अगली सीट चित्तौड़गढ़ है जहाँ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. जोशी को काँग्रेस के पूर्व राज्य मंत्री उदयलाल अंजना के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में चित्तौड़गढ़ से सांसद जोशी के कार्यकाल में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता। उनका गृह क्षेत्र होने के कारण यह सीट महत्वपूर्ण है। चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के साथ जोशी का मतभेद अब कोई रहस्य नहीं है। टिकट नहीं मिलने पर आक्या ने भाजपा छोड़ दी और निर्दलीय के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद से उन्होंने टिकट न दिए जाने में अहम भूमिका निभाने के लिए जोशी पर मौखिक हमला बोला है। ऐसी चर्चाएँ थीं कि आक्या जोशी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि रविवार को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई और दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने में मदद की, जिससे भाजपा के लिए चीजें आसान हो गईं।
कांग्रेस ने जोशी का मुकाबला करने के लिए गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे उदयलाल अंजना पर दांव लगाया है। अंजना भी इस क्षेत्र से सांसद रह चुकी हैं। यह पूर्व कांग्रेस सांसद और भाजपा सांसद के बीच की लड़ाई है।
एक और दिलचस्प लड़ाई अलवर में है जहाँ भाजपा ने ललित यादव के खिलाफ केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को मैदान में उतारा है।
यादव दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं, लेकिन पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने अपने विधायक ललित यादव को उनके खिलाफ मैदान में उतारा है। ललित मुंडावर से पहली बार विधायक बने हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि काँग्रेस यहाँ नया नेतृत्व लाने की कोशिश कर रही है। अलवर के पूर्व सांसद करण सिंह ने टिकट नहीं मिलने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। इसलिए यहाँ विद्रोहियों की क्या भूमिका होगी, इस पर पैनी नजर रखी जा रही है।
एक और सीट जिसकी राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है, वह है जालोर-सिरोही जहाँ कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को भाजपा के लुंबाराम चौधरी के खिलाफ मैदान में उतारा है।
वैभव ने 2019 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन शेखावत से हार गए थे। अब उन्हें जालौर सिरोही से मैदान में उतारा गया है और इसलिए यह सीट अशोक गहलोत के लिए भी प्रतिष्ठा का विषय बन गई है।
भाजपा ने जालोर-सिरोही से तीन बार के सांसद देवजी पटेल का टिकट काट दिया है और लुंबाराम चौधरी को मैदान में उतारा है जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
एक और सीट उदयपुर में दो पूर्व नौकरशाह आमने-सामने हैं। भाजपा ने अपने सांसद अर्जुन मीणा का टिकट काटकर पूर्व परिवहन अधिकारी मन्नालाल को मैदान में उतारा है। मन्नालाल विश्व हिंदू परिषद और वनवासी कल्याण परिषद जैसे संगठनों में काम कर चुके हैं और उनके पास जमीनी स्तर का अनुभव है। कांग्रेस ने उदयपुर के पूर्व कलेक्टर ताराचंद मीणा को मैदान में उतारा है। दोनों उम्मीदवार बाहरी हैं।
काँग्रेस ने यहाँ से मीणा को उम्मीदवार बनाकर आश्चर्यचकित कर दिया है क्योंकि उनका वीआरएस 20 मार्च से प्रभावी होगा। ताराचंद को पूर्व सीएम अशोक गहलोत का चहेता माना जाता है और उन्हें सीधे चित्तौड़गढ़ कलेक्टर में नियुक्त किया गया था। आठ महीने बाद उन्हें उदयपुर जिले का कलेक्टर नियुक्त किया गया। अब उनकी उम्मीदवारी ने सभी को हैरान कर दिया है।
इस बीच, राजस्थान भाजपा के उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया ने दावा किया कि
इन सीटों पर कोई कड़ा मुकाबला नहीं है और भाजपा इन सभी सीटों पर आसानी से
जीत हासिल करेगी।उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के घोषणापत्र में 2047
तक देश को विश्व के शीर्ष पर देखने के सुझाव शामिल हैं। हम एक विकसित भारत
के लिए काम कर रहे हैं और मतदाता हम पर भरोसा कर रहे हैं।दूसरी
ओर, राज्य कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि चुनावी बॉन्ड,
राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमते पड़ोसी राज्य जितनी कम करने जैसे भाजपा
के फर्जी वादों ने भगवा पार्टी के झूठ को उजागर कर दिया है। मतदाता उन्हें
सबक सिखाएँगे।
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