जयपुर। स्वतंत्रता आंदोलन में अपना अमूल्य योगदान देने वाले दिवंगत सेनानी डॉ. देवीलाल पालीवाल को रविवार को उदयपुर में सेक्टर 13 स्थित मोक्षधाम पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। वे 92 वर्ष के थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पालीवाल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। गहलोत ने अपने संवेदना संदेश में कहा कि देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में पालीवाल के योगदान को सदैव याद किया जाएगा।
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मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत की आत्मा की शांति तथा शोक संतप्त परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है। जिला कलेक्टर श्रीमती आनंदी एवं जिला पुलिस अधीक्षक कैलाश चंद्र विश्नोई ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उदयपुर शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने भी पुष्प चक्र, माला व पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
इसके पश्चात पुलिस के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। कलेक्टर एवं एसपी सहित मौजूद जनप्रतिनिधियों ने उनके पुत्र व परिजनों को ढांढस बंधाया। इस अवसर पर उनके पुत्र डॉ. प्रकाशचन्द्र, आलोक व सुनील सहित परिजनों ने मुखाग्नि दी। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए।
स्वतंत्रता आंदोलन में रहे सक्रिय, लेखक व इतिहासकार भी
दिवंगत सेनानी पालीवाल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लेखक व सक्रिय आन्दोलनकारी रहे। इसके साथ ही वे एक अच्छे इतिहासकार भी रहे। उन्होंने ‘महाराणा प्रताप महान‘ व ‘मेवाड़ इन ब्रिटिश’ सहित मेवाड़ के इतिहास पर कई पुस्तकें लिखी। वर्ष 1960 में पालीवाल ने उदयपुर के श्रमजीवी महाविद्यालय में इतिहास के अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं दी और वर्ष 1971-72 में राजस्थान साहित्य अकादमी के निदेशक भी रहे।
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