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देहदान की प्रेरणा, लेकिन व्यवस्था की अनदेखी—मेडिकल कॉलेज की लापरवाही से हताश परिजन

Inspiration to donate body, but system negligence—family disappointed with medical college negligence - Bhilwara News in Hindi

भीलवाड़ा। एक तरफ "देहदान महादान" के नारे लगाए जाते हैं, जागरूकता रैलियां निकाली जाती हैं, तो दूसरी तरफ जब कोई अपनी मृत्यु के बाद देहदान की इच्छा व्यक्त करता है, तो सरकारी सिस्टम ही उसे पूरा करने से पीछे हट जाता है। ऐसी ही स्थिति हाल ही में भीलवाड़ा के वरिष्ठ नागरिक शांतिलाल मूंदड़ा के साथ देखने को मिली, जिनका अंतिम इच्छा के अनुरूप देहदान नहीं हो सका, क्योंकि राजमाता विजयाराजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज में शव सुरक्षित रखने की व्यवस्था ही नहीं थी। जब मेडिकल कॉलेज ने शव लेने से किया इंकार शांतिलाल मूंदड़ा, जो मूकबधिर विद्यालय के संस्थापक थे, उनके निधन के बाद परिजन शव लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे, लेकिन वहां से उन्हें यह कहते हुए लौटा दिया गया कि शव सुरक्षित रखने वाली मशीन 15 दिनों से खराब पड़ी है। परिजनों ने चित्तौड़गढ़, अजमेर और उदयपुर मेडिकल कॉलेजों तक संपर्क किया, लेकिन कहीं भी शव स्वीकार नहीं किया गया। यह कोई पहला मामला नहीं है, कुछ महीने पहले भी वरिष्ठ पत्रकार निलेश काठेड़ के पिता बंशीलाल काठेड़ के निधन पर देहदान की इच्छा को मेडिकल कॉलेज ने "शव गलने और बेड सॉल होने" जैसे बहाने बनाकर ठुकरा दिया था।
मेडिकल कॉलेज में करोड़ों का बजट, लेकिन शव सुरक्षित रखने की सुविधा नहीं
यह विडंबना ही है कि सरकार और चिकित्सा संस्थान बेहतर शोध कार्यों के लिए देहदान को आवश्यक बताते हैं और इसको बढ़ावा देने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन जब वास्तव में देहदान करने का अवसर आता है, तो मेडिकल कॉलेजों की असंवेदनशीलता सामने आ जाती है। यदि शव सुरक्षित रखने की सुविधा नहीं है, तो यह चिकित्सा तंत्र की शर्मनाक लापरवाही को उजागर करता है।
देहदान को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस व्यवस्था जरूरी
अब सवाल यह है कि कोई क्यों अपनी मृत्यु के बाद देहदान का संकल्प लेगा, जब उसकी अंतिम इच्छा को पूरा करने की सुविधा ही उपलब्ध नहीं है? सरकार और मेडिकल कॉलेजों को चाहिए कि:
हर मेडिकल कॉलेज में शव सुरक्षित रखने की समुचित व्यवस्था हो
अगर निकटतम कॉलेज में जरूरत नहीं है, तो शव को अन्य मेडिकल कॉलेज तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकारी तंत्र की हो
असंवेदनशील रवैया अपनाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो
देहदान के लिए न केवल प्रेरित किया जाए, बल्कि उसके क्रियान्वयन की ठोस व्यवस्था भी हो
देहदान मानवता के लिए एक महान सेवा है, लेकिन यदि सरकार और मेडिकल कॉलेज ही इसे स्वीकार करने से कतराने लगें, तो यह उन सभी प्रयासों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है, जो लोगों को देहदान के लिए प्रेरित करने के लिए किए जाते हैं। इस संवेदनहीन रवैये को बदलना होगा, वरना भविष्य में कोई भी अपने परिजन का देहदान करने के लिए आगे नहीं आएगा।

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Web Title-Inspiration to donate body, but system negligence—family disappointed with medical college negligence
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