चंडीगढ़। सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब सरकार को करारा झटका देते हुए
कहा है कि वह पहले वह
पहले एसवाईएल नहर का निर्माण कार्य पूरा करे। जल बंटवारे की बात बाद में
होगी। पंजाब लगातार राज्य से एक भी बूंद किसी अन्य राज्य को न देने की बात
कर रहा है, जबकि हरियाणा और राजस्थान सतलुज के पानी पर उसका भी अधिकार बता
रहे है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 7 सितंबर तक टाल दी है।पंजाब
सरकार की परेशानी यह है कि 10 नवंबर 2016 को सतलुज यमुना लिंक नहर मसले पर
उच्चतम न्यायालय ने 'पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वाटर एग्रीमेंट एक्ट 2004 को
असंवैधानिक करार कर दिया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शीर्ष अदालत ने अदालत के फैसलों को
निष्प्रभावी करने और एसवाइएल समझौते को खत्म करने के लिए पंजाब सरकार की ओर
से पारित कानून की संवैधानिक वैधता पर राष्ट्रपति की ओर से उच्चतम
न्यायालय की राय के लिए भेजे गए सभी चार प्रश्नों का उत्तर 'नहीं' में दिया
था।इसे लेकर कांग्रेस सरकार ने
तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार पर खासा दबाव बनाया था और इसके बाद कैप्टन
अमरिंदर सिंह ने लोकसभा से और पंजाब के कांग्रेस विधायकों ने सामूहिक रूप
से विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 2017 में तस्वीर बदल चुकी है।
अब
कांग्रेस की सरकार है और कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद एसवाईएल समझौते को रद
करने के लिए राजनीतिक व कानूनी हल ढूंढ रहे हैं।
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