चंडीगढ़। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) द्वारा अपने संकुचित राजनैतिक हितों की वजह से पंजाब के किसानों को प्राथमिक सहकारी कृषि विकास बैंकों (पी.ए.डी.बी.) द्वारा दिए गए कर्जे को न लौटाने के लिए बैंकों के आगे दिए जा रहे धरनों और रोश प्रदर्शनों से जहां बैंकों की तरफ से किसानों और आम लोगों को मुहैया करवाई जा रही सेवाएंं बड़े स्तर पर प्रभावित हो रही हैं वहीं राज्य का माहौल भी खराब हो रहा है। विरोधी दलों की शह पर किसान यूनियन द्वारा लगाए जा रहे ये धरने किसानों का नुकसान करने की सोची समझी साजिश है क्योंकि पी.ए.डी.बी. द्वारा भरी जाने वाली किश्त टूटने के कारण नाबार्ड की सहायता बंद होने से नुकसान सीधे तौर पर किसानों का ही होना है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सहकारिता विभाग के प्रवक्ता ने यहां जारी प्रैस बयान में कहा कि पी.ए.डी.बी राज्य में किसानों को लम्बे अरसे के कर्जे मुहैया करवाता है और यह कर्ज नाबार्ड की तरफ से रीफाइनांस किए जाते हैं। इस तरह किसानों की तरफ से पी.ए.डी.बी का कजऱ् किश्तों में लौटाया जाता है ठीक उसी तरह पी.ए.डी.बी की तरफ से भी नाबार्ड को कर्ज समय पर किश्तों में लौटाना होता है। पी.ए.डी.बी आज तक कभी भी नाबार्ड की कर्ज किश्त समय पर लौटाने से नहीं चुके और यदि पी.ए.डी.बी भविष्य में ऐसा करने में असफल होते हैं तो नाबार्ड द्वारा रीफाइनांस देना बंद कर दिया जायेगा और पी.ए.डी.बी किसानों को भविष्य में कर्ज देने में असमर्थ हो जाएंगे जिससे जरूरतमंद किसानों को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
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