बुंदेलखंड के लोगों के मन में यह बात तेजी से घर करने लगी है कि इस इलाके
में पानी का संकट है तो सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ स्थानीय
नेताओं की आंखों का पानी भी सूख चुका है। यही कारण है कि जिन नेताओं और
सरकारी अफसरों को गांव में किसानों की समस्या सुनकर पलायन जैसी विभीषिका को
रोकने के प्रयास करने चाहिए थे, वे खजुराहो में फिल्मों और संगीत का लुफ्त
ले रहे थे। ये भी पढ़ें - फलों से मिठाईयां बनाने के गुर सीख रहीं महिलाए्ं
प्रकृति तो रूठी ही है, वहीं वे लोग भी मौज कर रहे
हैं, जिन्हें पीडि़तों के जख्मों पर मलहम लगाना चाहिए। फिल्म महोत्सव पर
जितना खर्च किया होगा, उतने में कम से कम पांच तालाब तो बन ही सकते थे, जो
आने वाले समय में यहां की जरूरत को पूरा करने का माध्यम बनता, मगर जनता खुश
और प्रसन्न रहे यह किसे रास आता है।
--आईएएनएस
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