भोपाल। मध्य प्रदेश के झाबुआ उपचुनाव में मिली जीत और उसके बाद पन्ना जिले की पवई विधानसभा को शून्य घोषित किए जाने से राज्य की सियासत में बदलाव की संभावना नजर आने लगी है। मौजूदा कमलनाथ सरकार को एक और जीत हासिल कर लेने के बाद दबाव की राजनीति से बाहर निकलने का मौका मिल सकता है। वैसे विधायकों की संख्या के लिहाज से वर्तमान में कमलनाथ सरकार बहुमत वाली सरकार हो गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लगभग 11 माह का कार्यकाल पूरा कर रही कमलनाथ सरकार के भविष्य को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि इस सरकार के पास पूर्ण बहुमत हासिल नही है और वह निर्दलीय, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के विधायकों की बैसाखी पर खड़ी है। यही कारण रहा कि कई विधायक समय-समय पर सरकार को आंखें दिखाते रहे, कई बार तो तल्ख बयान भी सामने आए, जिससे ऐसा संदेश जाता रहा कि यह सरकार ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है।
बीते दिनों राजनीतिक घटनाक्रम में आए बदलाव ने कांग्रेस और कमलनाथ सरकार को राहत देने का काम किया है। एक तो झाबुआ में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत दर्ज कर कांग्रेस को बहुमत के आंकड़े की तरफ बढ़ाने का काम किया। वहीं, भोपाल की विशेष अदालत द्वारा पन्ना जिले के पवई विधानसभा के विधायक प्रहलाद लोधी को तहसीलदार से मारपीट करने के मामले में दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद विधानसभाध्यक्ष एन. पी. प्रजापति ने पवई विधानसभा क्षेत्र को शून्य घोषित करने की अधिसूचना जारी कर दी।
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