धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के कृषि, जनजातीय विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राम लाल मारकंडा ने कहा कि नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र में शीघ्र ही आलू के चिप्स की फैक्टरी लगाई जाएगी। जिसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया है। यह जानकारी उन्होंने कृषि विभाग एवं कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आतमा) कांगड़ा द्वारा सैणी पैलेस नगरोटा बगवां में आयोजित किसान सम्मान समारोह के अवसर पर बोलते हुए दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के आलू को चिप्स के लिए पूरे देश में जाना जाता है परन्तु यहां पर चिप्स की फैक्टरी न होने के कारण उत्पादकों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि जमीन की उपलब्धता होने पर शीघ्र ही इसके निर्माण की प्रक्रिया आरम्भ कर दी जाएगी जिससे किसानों को उनके उत्पादन के बेहतर दाम प्राप्त होंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को पूरे साल सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने की व्यवस्था विकसित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। प्रदेश मे सिंचाई सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए एक नई योजना ‘‘जल से कृषि को बल’’ शुरू की गई है। इसके तहत आगामी 5 वर्षों में 250 करोड़ रुपये खर्च कर पानी की कमी दूर करने के लिये चेक डैम एवं तालाबों का निर्माण किया जाएगा ताकि किसानों को सिंचाई के लिए सालभर पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा कि खेती की पैदावार का बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार सिंचाई के अंतर्गत सामूहिक सोलर लिफट पर शत् प्रतिशत् तथा व्यक्तिगत सौर सिंचाई योजना के तहत 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि किसानों की फसलों को जंगली जानवरों व आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसानों को व्यक्तिगत तौर पर सोलर बाड़ लगाने पर 80 प्रतिशत तथा सामूहिक रूप में सोलर बाड़ लगवाने पर 85 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त खेती को जानवरों से बचाने के लिए प्रदेश में 6 गोसदनों का निर्माण किया जा रहा है जिनके रखरखाव के लिए मंदिरों के चढ़ावे से 15 प्रतिशत तथा शराब की प्रत्येक बोतल की विक्री से एक रूपये का सेस लेने का प्रावधान किया गया है ताकि लोगों का खेती की ओर अधिक रूझान बढ़ सके।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में जहर मुक्त खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अब रसायनों, उर्वरकों तथा कीटनाश्कों पर सब्सिडी खत्म की जायेगी। वहीं शून्य लागत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अब रसायनिक तथा जैविक खेती को बन्द किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों तथा लोगों का हित चाहती है जिस कारण प्रदेश सरकार शून्य लागत खेती को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की तकनीक पूर्णतयः देशी गाय पर निर्भर है इसलिए देशी गाय की नश्ल के उत्थान पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसान की जय करने की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने रसायनिक खादों व कीटनाशकों के अत्याधिक प्रयोग से घातक बीमारियों के कारण मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से शून्य लागत प्राकृतिक खेती को अपनाने तथा देशी नश्ल की गाय पालने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि खेती की इस तकनीक के अपनाने से जहां कृषि लागत कम होगी वहीं उनकी आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक तथा प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि कई अन्य मायनों में भी सुरक्षित है। इसलिए राज्य सरकार ने इस ओर कार्य आरम्भ कर दिया है तथा प्रदेश के किसानों के हित के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान भी किया गया है।
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