करनाल। अक्षय उर्जा विभाग के परियोजना अधिकारी प्रवीन गिरधर
ने कहा कि अब अक्षय उर्जा विभाग द्वारा बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए
सभी प्राइवेट, सरकारी स्कूलों एवं सरकारी भवनों में सोलर पावर प्लांट
लगवाना जरूरी कर दिया गया है। इसके लिए सभी स्कूलों को 10 नवम्बर 2017 तक
आवेदन करना होगा , यह कार्य पांच माह में पूरा करना आवश्यक है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अतिरिक्त उपायुक्त निशांत कुमार यादव के निर्देशानुसार जिले में
अक्षय उर्जा प्लांट लगाने का कार्य जारी है। अक्षय उर्जा मंत्रालय द्वारा
बिजली बचाने के लिए सौर उर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि सोलर पावर
प्लांट अधिक से अधिक लगाएं जाएं। इसी कड़ी में शनिवार को परियोजना अधिकारी
प्रवीन गिरधर ने लघु सचिवालय के सभागार में जिले के प्राईवेट स्कूलों के
प्रतिनिधियों की बैठक ली। इस बैठक में उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से अपील
की कि वे सरकार की योजनाओं में शामिल होकर अपने-अपने स्कूलों में सोलर पावर
प्लांट लगाए ताकि बिजली की बचत की जा सके।
उन्होंने बताया कि जिला करनाल के सभी प्राइवेट स्कूलों एवं सभी
सरकारी भवनोंं जिनका स्वीकृत लोड 30 किलो वाट से अधिक है उनको हरियाणा
सरकार की हिदायतों के अनुसार ग्रिड से जुड़ा हुआ सोलर पावर प्लांट लगवाना
आवश्यक है। इसके लिए विभाग की वेबसाइट
पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। प्रोजेक्ट स्वीकृत होने पर एमएनआरई से स्वीकृत
कम्पनी के द्वारा ही इसे लगवाया जा सकता है। इसके पश्चात् इसे नेट मीटरिंग
प्रणाली से जोडऩे के लिए बिजली विभाग में आवेदन करना होगा। जिसके लिए
घरेलू एवं ट्रस्ट से जुड़ी हुई संस्थाओं को 20 हजार रूपए प्रति किलोवॉट की
दर से अनुदान भी दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक किलोवॉट सोलर पावर
प्लांट की कीमत लगभग 70 हजार रूपए है। इसके लिए 10 वर्ग मीटर प्रति किलोवाट
जगह की जरूरत है। एक किलोवॉट का सोलर पावर प्लांट एक वर्ष में 1500 यूनिट
बिजली तक पैदा कर सकता है।
अक्षय उर्जा विभाग के परियोजना अधिकारी प्रवीन गिरधर ने बताया कि
सोलर पैनलों से बनाए गए डॉयरेक्ट करंट को इन्वर्टर के माध्यम से अल्टरनेट
करंट में बदलकर इस बिजली को इस्तेमाल में लाया जा सकता है तथा इसको नैट
मीटरिंग के माध्यम से ग्रिड से जोड़ा जाता है। इस तरह से बनाई गई बिजली
निजी प्रयोग के साथ-साथ अतिरिक्त बिजली वापिस ग्रिड में चली जाती है। यह
अतिरिक्त यूनिट जो ग्रिड में वापिस गई है, उसे बिजली के बिल में समायोजित
कर दिया जाता है, जिस पर एक रूपया प्रति यूनिट के हिसाब से प्रोत्साहन राशि
बिजली विभाग द्वारा दी जाएगी। बैठक के दौरान सरकारी एवं गैर सरकारी
स्कूलों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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