नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि निजी क्षेत्रों में भी अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आरक्षण दिए जाने जैसा कोई प्रस्ताव तैयार नहीं हुआ है। हालांकि सरकार ने यह जरूर स्वीकार किया कि वर्ष 2006 में प्रधानमंत्री कार्यालय ने पहल करते हुए इसको लेकर एक समन्वय कमेटी बनाई थी। तब उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने आरक्षण की बात खारिज करते हुए कौशल विकास और ट्रेनिंग पर जोर देने की बात कही थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरअसल, भाजपा के कौशांबी से सांसद विनोद सोनकर ने मंगलवार (10 दिसंबर) को पूछा कि क्या सरकार ने निजी क्षेत्र में आरक्षण प्रदान करने के लिए कोई कदम उठाया है? क्या सरकार की ओर से निजी क्षेत्र में आरक्षण प्रदान किए जाने की संभावना है?
इस सवाल के लिखित जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया ने बताया कि औद्योगिक संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की सूचना के मुताबिक निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। हालांकि निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए वर्ष 2006 में प्रधानमंत्री कार्यालय ने सकारात्मक कार्रवाई के लिए एक समन्वय समिति गठित की थी।
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