नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ
सिंह ने पूर्वी लद्दाख में अचानक हुए घटनाक्रम की समयबद्ध और सतत
प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए गुरुवार को भारतीय वायु सेना की पीठ
थपथपाई।
चीन ने पिछले साल पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर
घुसपैठ के प्रयास किए थे और वायु सेना को आगे के स्थानों पर तैनात भारतीय
सेना को रसद सहायता प्रदान करने के लिए रवाना किया गया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सिंह ने
गुरुवार को एयर मुख्यालय में भारतीय वायु सेना कमांडरों के सम्मेलन
(एएफसीसी-21) में अपने संबोधन के दौरान कमांडरों को भविष्य के खतरों का
मुकाबला करने के लिए क्षमता वृद्धि के लिए दीर्घकालिक योजनाओं और रणनीतियों
को बनाने की सलाह दी।
रक्षा मंत्री ने चल रही कोविड-19 महामारी के
मद्देनजर अन्य सरकारी एजेंसियों की सहायता के लिए वायु सेना द्वारा निभाई
गई भूमिका की सराहना की।
बदलते अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति का उल्लेख
करते हुए उन्होंने देखा कि हाल के दिनों में ट्रांस-अटलांटिक से
ट्रांस-पैसिफिक पर ध्यान केंद्रित करने का अवधारणात्मक बदलाव अधिक स्पष्ट
हो गया है।
सिंह ने कहा कि युद्ध के आयामों में अब उन्नत तकनीकों,
असंयमित क्षमताओं और सूचना प्रभुत्व शामिल होंगे और यह बहुत महत्वपूर्ण है
कि भविष्य के लिए वायुसेना की तैयारियों में इन पहलुओं को शामिल किया जाना
चाहिए।
रक्षामंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता
के ²ष्टिकोण को दोहराते हुए रक्षा अवसंरचना में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा
देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि एलसीए के लिए
भारतीय वायुसेना के आदेश से घरेलू रक्षा उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा और
यह स्वदेशी ²ष्टिकोण से गेम चेंजर साबित होगा।
रक्षा मंत्री ने
कमांडरों से स्वदेशी रक्षा उत्पादन और विमान रखरखाव के क्षेत्र में और भी
अधिक परिणाम प्राप्त करने के अपने प्रयासों को जारी रखने का आग्रह किया।
मंत्री
ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास राष्ट्रीय नीति के पूरक पहलू
हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उद्योग के लिए भारतीय वायुसेना का समर्थन इस
क्षेत्र में एमएसएमई के विकास के परिणामस्वरूप होगा, जो एकसाथ देश की
आत्मनिर्भरता और सामाजिक एवं आर्थिक विकास का कारण बनेगा।
उन्होंने
कमांडरों से आग्रह किया कि वे संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन के दौरान
प्रधानमंत्री के जारी किए गए सभी निर्देशों का जायजा लें। उन्होंने वर्तमान
में चल रही एकीकरण प्रक्रिया, संयुक्त लॉजिस्टिक योजना के कार्यांवयन,
संयुक्त योजना और संचालन के क्षेत्रों में तालमेल बढ़ाने के लिए लगातार काम
करने की आवश्यकता पर बल दिया।
रक्षामंत्री ने रक्षा मंत्रालय से एक
शक्तिशाली रणनीतिक एयरोस्पेस फोर्स होने के लक्ष्य को प्राप्त करने में
रक्षा मंत्रालय से पूरे समर्थन का आश्वासन दिया।
उन्होंने विश्वास
व्यक्त किया कि सम्मेलन के दौरान लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय भारतीय वायुसेना
की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाएंगे। कमांडरों का सम्मेलन 16 अप्रैल को संपन्न
होगा।
सम्मेलन में वर्तमान लड़ाकू क्षमता को मजबूत करने की स्थिति
और भारतीय वायुसेना को भविष्य में तैयार लड़ाकू बल बनाने की कार्ययोजना की
जांच की जाएगी। सभी डोमेन में अधिक कुशल प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के
लिए सिस्टम, सुधार और पुनर्गठन से संबंधित मुद्दों और अनुकूलित परिचालन
प्रशिक्षण पर भी चर्चा की जाएगी।
--आईएएनएस
First Phase Election 2024 : पहले चरण में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान, यहां देखें कहा कितना मतदान
Election 2024 : सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और सबसे कम बिहार में मतदान
पहले चरण के बाद भाजपा का दावा : देश में पीएम मोदी की लहर, बढ़ेगा भाजपा की जीत का अंतर
Daily Horoscope