नई दिल्ली। बेमौसम बरसात से एक तरफ ठंड बढ़ गई है, वहीं दूसरी तरफ गेहूं, चना, सरसों व अन्य रबी फसलों के लिए सर्दी की यह बारिश सोना बनकर बरस रही है। बीते कुछ दिनों से उत्तर भारत समेत देश के विभिन्न इलाकों में बूंदाबांदी हो रही है, जिससे खेतों में खड़ी रबी फसलों की रौनक बढ़ गई है। कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि तमाम रबी फसलों के लिए यह पानी नहीं, बल्कि सोना बरस रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इंद्रदेव के मेहरबान होने से किसानों को फसलों की सिंचाई पर होने वाला खर्च भी बच गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस से कहा कि रबी फसलों के लिए आसमान से पानी नहीं, बल्कि सोना बरस रहा है। इससे फसलों की वृद्धि तेज हो जाएगी और उत्पादकता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि खास तौर से गेहूं के लिए यह बारिश काफी फायदेमंद है, क्योंकि बूंदाबांदी व फुहार के रूप में आसमान से जो पानी गिरता है, उससे फसलों को ज्यादा लाभ होता है। गेहूं रबी सीजन की सबसे प्रमुख फसल है और इसकी बुवाई इस साल औसत से ज्यादा हो चुकी है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा बीते सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में रबी फसलों की बुवाई 312.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल से 9.35 फीसदी अधिक है।
गेहूं की बुवाई क्षेत्र का सामान्य औसत देश में 305.58 लाख हेक्टेयर है। डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि अगर आने वाले दिनों में मौसम इसी प्रकार अनुकूल रहा तो इस साल गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 10.8 करोड़ टन हो सकता है। पिछले साल देश में 10.21 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
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