नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर सभी चुनाव एक साथ कराने की बात कही है। मोदी ने कहा कि एक साथ चुनाव करा लिए जाते हैं तो देश एक बड़े बोझ से मुक्त हो जाएगा। अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो ज्यादा से ज्यादा संसाधन और पैसा खर्च होता रहेगा। एक चैनल को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि जो जातिगत राजनीति हो रही है, ये देश का दुर्भाग्य है। मोदी ने कहा, चुनावों क त्योहार खासकर होली की तरह होना चाहिए। यानी आप उस दिन किसी पर रंग या कीचड़ फेंके और अगली बार तक के लिए भूल जाएं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
देश हमेशा चुनाव के मूड में रहता है। एक चुनाव खत्म होता है तो दूसरा शुरू हो जाता है। मेरा विचार है कि देश में एकसाथ यानी 5 साल में एक बार संसदीय, विधानसभा, सिविक और पंचायत चुनाव होने चाहिए। एक महीने में ही सारे चुनाव निपटा लिए जाएं। इससे पैसा, संसाधन, मैनपावर तो बचेगा ही, साथ ही सुरक्षा बल, ब्यूरोक्रेसी और पॉलिटिकल मशीनरी को हर साल चुनाव के लिए 100-200 दिन के लिए इधर से उधर नहीं भेजना पड़ेगा।
मोदी नहीं, टीम इंडिया कर रही है बेहतर काम
मोदी ने कहा कि प्रशासन बेहतर तरीके से काम कर रहा है, जिसकी वजह से तीन करोड़ 30 लाख गैस कनेक्शन बांटे गए, नीम कोटिंग यूरिया को अमली जामा पहनाया गया, स्वास्थ्य क्षेत्र में स्टेंट की कीमत कम करने में सफलता हासिल की गई। यह सब मोदी की वजह से नहीं, नौकरशाही के बेहतर तरीके से काम करने और टीम इंडिया की वजह से संभव हुआ है। मोदी ने कहा, बजट पहला हो और आखिरी बार हो, मोदी का एक ही मंत्र है बजट विकास पर केंद्रित होगी।
दावोस में होने वाले सम्मेलन पर ये बोले मोदी
दावोस में होने वाले आर्थिक शिखर सम्मेलन के मुद्दे पर मोदी ने कहा, दावोस एक तरह से अर्थजगत की बड़ी पंचायत बन गया है। अर्थजगत के सब लोग वहां इकट्ठे होते हैं। अर्थजगत का ध्यान भारत पर केंद्रित है। एक तो भारत की आर्थिक स्थिति बहुत तेजी से विकास की ओर बढ़ रही है। दुनिया ने स्वीकार किया है। दुनिया की सभी रेटिंग एजेंसियां कह रही हैं कि भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
आजादी के बाद एफडीआई का इतना बड़ा जंप कभी नहीं
मोदी कहा, भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर है। भारत एक बहुत बड़ा मार्केट तो है ही। लेकिन भारत एक बहुत बड़ा जनसांख्यिकी लाभांश वाली शक्ति है। आजादी के बाद एफडीआई का इतना बड़ा जंप कभी नहीं हुआ। स्वाभाविक है कि विश्व भारत से सीधा संवाद करना चाहता है। सवा सौ करोड़ देशवासियों ने लगातार प्रगति की है। देशवासियों की सिद्धियों को दुनिया के सामने रखने में गर्व होगा। भारत की पहचान बनी है। उसका लाभ लेने की बात करनी चाहिए।
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