इजराइल के फिलिस्तीन पर कब्जे और हमास के कमांडर इन चीफ स्माइल हनिया कि तेहरान में हुई हत्या के फल स्वरुप उपजे आक्रोश में इस्लामी सहयोग संगठन की महत्वपूर्ण बैठक सऊदी अरब के जेद्दा शहर में आयोजित की गई। इस्लामी सहयोग संगठन अपने को 57 इस्लामिक देश का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन होने दावा पेश करता है, जिसमें पाकिस्तान, ईरान और तुर्की जैसे गैर अरब देश भी शामिल हैं।
यह महत्वपूर्ण बैठक ईरान, तुर्की तथा पाकिस्तान के अनुरोध पर आयोजित की गई जिसमें ईरान को इसराइल के विरुद्ध आगामी होने वाले युद्ध में हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है।
इन मुस्लिम देशों के संगठन आइओसी में सभी इस्लामी देशों के विदेश मंत्रियों ने शिरकत की है इसके अंतर्गत यदि ईरान का इजरायल के साथ संघर्ष बढ़ता है तो पाकिस्तान ईरान को पाकिस्तान द्वारा निर्मित शाहीन-3 बैलिस्टिक मिसाइल की बड़ी खेप की आपूर्ति करेगा। इसके अलावा मैदानी मदद करने का भी आश्वासन पाकिस्तान ने ईरान को दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसी तरह तुर्की एवं अन्य इस्लामी देशों में ईरान द्वारा इजरायल में हमला करने के दौरान सामरिक तथा हथियारों की मदद करने का पक्का वादा किया है। पाकिस्तान की ओर से ईरान को मिसाइल दिए जाने के वादे के दावे से पहले महत्वपूर्ण देश रूस ने तेहरान को हथियारों की बड़ी तादाद में मदद मुहैया कराई है।
समाचार एजेंसी दी वाल स्ट्रीट जनरल के अनुसार रूस ने इसराइल के विरुद्ध ईरान यदि हमला करता है तो तो ईरान रूस द्वारा प्रदत्त हथियारों का उपयोग करेगा, एजेंसी ने आगे बताया कि रूस का एक सामरिक प्रदान करने वाला कार्गो विमान आई एल 76 टीडी 2 अगस्त को पहले ही तेहरान के हवाई अड्डे पर उतर चुका है।
उल्लेखनीय है कि यह एयरलाइन हथियारों के ट्रांसपोर्ट के लिए मानी जाती है और इसके पूर्व भी रूस ने ईरान को बड़ी संख्या में हथियार भेजने का दावा भी किया है इसके अलावा भविष्य में चीन तथा रूस ने संयुक्त रूप से ईरान की इस युद्ध में मदद करने की पेशकश कर चुके हैं।
यह गौरतलब है कि ईरान इजरायल द्वारा पिलिस्तीन पर कब्जा किए जाने तथा हमास के सैन्य प्रमुख स्माइल हानियां की हत्या से अत्यंत आक्रोशित है इसी के परिणाम स्वरूप वह इसराइल पर हमले करने की तैयारी के लिए सैन्य अभ्यास में जुट गया है।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने इस बात से इनकार किया है कि उसे ईरान की तैयारी के संबंध में सब कुछ मालूम है एवं उसे अभी भी यह नहीं पता है कि ईरान कब और कैसे इसराइल पर हमला कर सकता है एवं हमले का सही समय क्या होगा पर ईरान ने दावा किया है कि वह बहुत जल्द स्माइल हानियां की हत्या का बदला लेने इजरायल पर हमला करने वाला है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सऊदी अरब और ईरान के संबंध बहुत अच्छे नहीं माने जाते रहे हैं सऊदी अरब इजराइल का करीबी देश माना जाता रहा है पर इजरायल द्वारा स्माइल हानियां की हत्या में वह इस्लामी देशों के साथ ईरान के साथ भी खड़ा है एवं उसने इस घटना को लेकर इसराइल से अपना विरोध जताया है और अब अपने संबंध इसराइल से लगभग खत्म कर दिए हैं।
इराक के भी संबंध ईरान से कभी मधुर नहीं रहे पर इजरायल के मामले में इराक,यमन,जॉर्डन एवं अन्य देश लेबनान तथा ईरान की सरकार के साथ खड़े होते दिखाई दे रहे हैं।
इस बैठक के पूर्व लेबनान ने इसराइल पर लगभग 40 रॉकेट लांचर से हमले किए हैं जिसे इसराइल ने अपने रक्षात्मक आयरन डोम द्वारा हवा में ही नष्ट कर दिए हैं अब इस्लामी संगठन की इस बैठक में कई बातें जो सार्वजनिक नहीं की गई है उनमें यह तथ्य छन छन कर बाहर आ रहें है कि सभी 57 सदस्य देश इस युद्ध में इसराइल के खिलाफ शामिल होंगे एवं लेबनान तथा ईरान आगे बढ़कर इसराइल पर हमला करेंगे।
उधर इजराइल का साथ देने के लिए अमेरिका ने स्पष्ट रूप से घोषणा कर दी है अब तक वह लगातार हथियार तथा लड़ाकू विमान इसराइल को प्रदान करते आ रहा है। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया इस युद्ध में इस्लामी संगठन के खिलाफ अपना मोर्चा खोल सकते हैं, उधर खाड़ी देशों के प्रतिनिधियों ने भारत से इजरायल के अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए इसराइल को युद्ध रोकने हेतु समझाइए देने की बात कही है।
इन परिस्थितियों में इसराइल और हमास समर्थित देशों के मध्य संभावित युद्ध में अनेक देशों के जद में आने की संभावना बालवती हो गई है ऐसे में एक बड़े विश्व युद्ध की आशंका भी रक्षा विशेषज्ञ जता रहे हैं जिससे पूरे विश्व के अनेक देशों में इसका प्रभाव पड़ने की संभावना भी बताई जा रही है।
वैसे वैश्विक परिदृश्य में देखा जाए तो पूरे विश्व में हिंसा और युद्ध के संकट के बादल गहराते नजर आ रहे हैं रूस यूक्रेन युद्ध एक लंबे समय से लड़ा जा रहा है इसमें रूस के विरुद्ध अमेरिका तथा यूरोपीय देश डटकर यूक्रेन का साथ दे रहे हैं और रूस पर अनेकों आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए गए हैं बावजूद इसके दोनों देशों के मध्य युद्ध के रुकने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
इसके अलावा बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्ता पलट कर नई सरकार का गठन हो गया है।
वहां भी सरकार को हिंसात्मक आंदोलन से ही बदला गया है। कुल मिलाकर पूरे विश्व में वैश्विक अशांति का नजारा दिखाई दे रहा है जो कि मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ा खतरा हो सकता है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ तथा तटस्थ देश की भूमिका शांति स्थापित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है अब यह तो भविष्य ही बताएगा की शांति प्रयासों का क्या प्रतिफल मिलने की संभावना है।
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