पटना। बिहार में करीब चार साल से ज्यादा समय पहले की बात है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जहानाबाद सहित कई इलाकों में महिलाओं की मांग पर सभाओं को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी सरकार आएगी तब राज्य में शराबबंदी कानून लाया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चुनाव के बाद जद (यू), राजद और कांग्रेस के महागठबंधन की जीत हुई और बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया गया। इससे पहले भी 1977-78 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने राज्य में शराबबंदी कानून लागू किया था, परंतु बाद में इस कानून को रद्द कर दिया गया था।
बिहार में विपक्ष अब इस साल होने वाले चुनाव में इसी शराबबंदी कानून को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी शराबबंदी कानून को लेकर सरकार पर बराबर निशाना साध रहे हैं।
मांझी का कहना है कि बिहार में मंत्री, नेता और बड़े पदाधिकारी भी
शराब पीते हैं। ऐसे में अगर गरीब शराब पी रहे हैं तो क्या गुनाह कर रहे
हैं। उन्होंने कहा कि लोग रात में खाने के बाद सोने के वक्त शराब पी सकते
हैं। उन्होंने कहा कि थोड़ी सी शराब का सेवन करना दवा के बराबर होता है।
मांझी
तो यहां तक कहते हैं कि शराबबंदी के दौरान शराब पीकर पकड़े जाने वाले बड़े
लोग तो पैसे देकर छूट जा रहे हैं, लेकिन गरीबों को जेल में डाला जा रहा
है।
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