नई दिल्ली। मेजबान के तौर पर रूस ने फीफा विश्व कप-2018 के लिए क्वालीफाई तो कर लिया है लेकिन इस शानदार और बड़े मौके को सफलता में बदल क्या वो अपना पहला विश्व कप जीत पाएगा? ये एक बड़ा सवाल है। इसके कई कारण हैं। बीते मैचों में रूस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। उसने यूरो कप-2016 से अब तक 19 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, लेकिन सिर्फ छह में जीत हासिल की है। वहीं कंफेडेरेशन कप में भी अपने बुरे प्रदर्शन के सिलसिले को नहीं तोड़ पाया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कंफेडेरेशन कप में रूस ग्रुप दौर से ही बाहर हो गया था और सिर्फ एक मैच में ही उसे जीत मिली थी। ऐसे में उसके खिताब जीतने की संभावनाएं तो न के बराबर है लेकिन आसान ग्रुप के चलते वो ग्रुप दौर की बाधा को पार कर सकता है। रूस को ग्रुप-ए में उरुग्वे, सउदी अरब और मिस्र के साथ रखा गया है। इनमें से सिर्फ उरुग्वे ही उससे बेहतर और दमदार टीम है।
संभवत: यह दोनों टीमें ही अगले दौर में प्रवेश करेंगी। रूस के लिए अपनी मेजबानी में विश्व कप की राह किसी तरह से आसान नहीं होगी। विश्व कप की शुरुआत से पहले ही उसे परेशानियां शुरू हो गई हैं। उसके दो मजबूत डिफेंडर विक्टर वासिन और जॉर्जी झिकिया के अलावा फॉरवर्ड एलेक्जेंडर कोकोरिन चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं।
कोच चेरचेशोव की टीम की सबसे बड़ी कमजोरी उसका डिफेंस ही है और मुसीबत यह है कि विक्टर और झिकिया के चोटिल होने के बाद उनके पास कोई ऐसा बड़ा नाम नहीं है जो डिफेंस को मजबूत कर सके। डिफेंस के कमजोर रहते मिडफील्ड और आक्रामण पंक्ति की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
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