नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट इतिहास में आज की तारीख काफी खास है। टीम इंडिया ने आज से ठीक छह साल पहले 2 अप्रैल 2011 को दूसरी बार वनडे विश्व कप के खिताब पर कब्जा जमाया था। मुंबई में श्रीलंका के खिलाफ खेले गए फाइनल में कई धारणाएं टूटती दिखीं। इससे पहले किसी मेजबान टीम ने खिताब नहीं जीता था, फाइनल में लक्ष्य का पीछा करते हुए सिर्फ दो मौकों पर जीत मिली और शतक बनाने वाले को कभी हार का स्वाद नहीं चखना पड़ता था। मुंबई में ये सभी बातें गलत साबित हुई।
टॉस जीतने के बाद श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में छह विकेट पर 274 रन बनाए। महेला जयवर्धने ने 88 गेंदों पर 13 चौकों की मदद से 103 रन की पारी खेली। विकेटकीपर कप्तान कुमार संगकारा ने 48, तिलकरत्ने दिलशान ने 33, नुवान कुलशेखरा ने 32, थिसारा परेरा ने नाबाद 22 और थिलन समरवीरा ने 21 रन का योगदान दिया। जहीर खान व युवराज सिंह ने 2-2 और हरभजन सिंह ने एक विकेट लिया।
जवाब में भारत ने 48.2 ओवर में चार विकेट के नुकसान पर मंजिल हासिल कर ली। लसिथ मलिंगा ने 31 रन तक वीरेंद्र सहवाग (0) और सचिन तेंदुलकर (18) को पैवेलियन भेज दिया। इसके बाद 114 के स्कोर पर विराट कोहली (35) भी आउट हो गए। यहां से गौतम गंभीर (97) व विकेटकीपर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (91) ने जिम्मा संभाला। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 109 रन की साझेदारी की। युवराज सिंह 21 रन पर नाबाद लौटे। धोनी मैन ऑफ द मैच और युवराज मैन ऑफ द सीरीज चुने गए।
अब हम नजर डालेंगे 10वें वनडे विश्व कप के 5-5 सफलतम बल्लेबाज और गेंदबाजों के प्रदर्शन पर :-
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