नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के लिए पिछले 12 महीने काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। जून 2018 में फिटनेस टेस्ट में फेल होने के बाद टेस्ट टीम से बाहर किए जाने से लेकर आगामी विश्व कप के लिए टीम चुने जाने तक शमी का जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन तेज गेंदबाज को इससे कोई शिकायत नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भारतीय टेस्ट टीम का अभिन्न हिस्सा माने जाने वाले शमी उस समय सुर्खियों में आ गए थे जब वे अफगानिस्तान के साथ होने वाले एकमात्र टेस्ट मैच से पहले राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में हुए यो-यो टेस्ट में फेल हो गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने वनडे में शानदार वापसी की। शमी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि लोगों ने उनके यो-यो टेस्ट में फेल होने की बात की लेकिन कई लोगों को यह अहसास नहीं हुआ कि उस समय वह मानसिक रूप से मैदान पर उतरने के लिए तैयार नहीं थे।
शमी ने कहा, उस समय मेरे साथ कुछ पारिवारिक समस्याएं थीं। मेरा फिटनेस टेस्ट अच्छा नहीं हुआ था और मैं इसे स्वीकार करता हूं कि मैं असफल रहा था। लेकिन तब मैं मानसिक रूप से उस स्थिति में नहीं था, जहां मैं अफगानिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच पर ध्यान केंद्रित कर सकता था। मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं था और फिर अचानक उसी समय यो-यो टेस्ट से गुजरना पड़ा, जिससे मैं हड़बड़ा गया।
तेज गेंदबाज ने आगे कहा कि उन्होंने इसे सकारात्मक रूप से लिया और महसूस किया कि आलोचकों को इसका जवाब देने के बजाय उन्हें अपने काम को करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, उस समय दबाव था, लेकिन मैंने खुद से कहा कि मुझे अपनी फिटनेस पर काम करना है और मजबूती से वापसी करनी है। तब मैंने 12 से 14 किलो तक अपना वजन कम किया। अब आप देख सकते हैं कि अब मेरी शारीरिक फिटनेस सही है बल्कि अब मेरी गेंदबाजी में भी लय और गति देखने को मिलती है।
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