नई दिल्ली। पुलेला गोपीचंद ने साल 2003 में कोचिंग शुरू करने के साथ भारत की महिला बैडमिंटन खिलाडिय़ों को वैश्विक पहचान दिलाने का लक्ष्य रखा था और इस क्रम में सायना नेहवाल की सफलताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गोपीचंद ने कहा कि सायना की ओलम्पिक पदक जीत ने भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाडिय़ों का वर्चस्व बनाया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उससे पहले 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में सायना का क्वार्टर फाइनल में पहुंचना भारतीय खिलाडिय़ों के लिए आगे निकलने की दिशा में प्रेरक बना था। गोपीचंद ने कहा कि साल 2008 में आयोजित हुए बीजिंग ओलम्पिक खेलों की बैडमिंटन स्पर्धा में सायना का क्वार्टर फाइनल बेहद अहम था, क्योंकि इसके कारण ही भारत में बैडमिंटन के खेल ने सुर्खियां बटोरी थीं।
2006 और 2007 में लोगों को यह पता चल रहा था कि भारतीय महिला बैडमिंटन का प्रदर्शन अच्छा है, लेकिन लंदन ओलम्पिक में सायना की जीत ने भारतीय बैडमिंटन की ओर सबका ध्यान खींचा। भारत की राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के कोच गोपीचंद ने कहा कि कोचिंग की शुरुआत में उनके लिए अन्य चुनौतियों में से एक थी महिला बैडमिंटन खिलाडिय़ों को पहचान दिलाना।
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