शिमला। पहली मार्च से शुरू हो रहे हिमाचल विधानसभा के बजट अधिवेशन के लिए दोनों प्रमुख दल सतारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा 28 फरवरी को विधायक दलों की बैठकों में अपनी रणनीति तय करेंगे। वर्तमान कांग्रेस सरकार के इस आखिरी बजट सत्र के पूरी तरह हंगामेदार रहने के आसार हैं। बेरोजगारों को भत्ता दिए जाने का मुद्दा सदन के अंदर गर्मी पैदा करेगा। कांग्रेस ने वर्ष 2012 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगारों को भत्ता देने का वायदा किया था लेकिन इसकी बजाय कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के बेरोजगारों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम योजना शुरू कर दी। जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने दावा किया कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध करने में सहायता मिलेगी। [ अजब गजबः यहां शिवलिंग पर हर साल गिरती है बिजली] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
विपक्ष की इस मुददे को लेकर कांग्रेस सरकार को कठघड़े में खड़ा करने की कोशिश करती रही है। उधर, मंत्रिमण्डल के एक वरिष्ठ मंत्री जीएस बाली बेरोजगारों को भत्ता देने के पक्ष में हैं लेकिन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि राज्य सरकार अपनी कमजोर वितीय स्थिति के कारण इस भत्ते को देने में असमर्थ है और उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि राज्य सरकार की नीति के खिलाफ जाना एक अनुशासनहीनता मानी जाएगी। वहीं पीसीसी चीफ सुखविंद्र सिंह ने भी बेरोजगारों को भत्ता दिए जाने के पक्ष में एक बयान दिया है।
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