जयपुर। कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि राज्य में स्थानीय किस्मों को संरक्षित करते हुए सरसों के जैविक उत्पादन की शुरुआत करेंगे। उन्होंने बताया कि इस तरह जहां उपभोक्ताओं को सरसों का जैविक तेल मिल सकेगा, वहीं प्रदेश में जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। सैनी गुरुवार को राज्य कृषि प्रबंध संस्थान, राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर के तकनीकी सहयोग और इंटरनेशनल कंसलटेटिव गु्रप ऑफ रिसर्च ऑन रेपसीड, कनाडा की ओर से सरसों पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
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उन्होंने कहा कि भारत में बड़े स्तर पर खाद्यान्न तेल आयात किया जाता है, इस आयात को कम करने के लिए सरसों के उत्पादन को बढ़ावा देना होगा। हालांकि राजस्थान सरसों का देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, लेकिन प्रति हेक्टयर 20 क्विंटल उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करना होगा। कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि सरसों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सरसों की नई उत्पादन तकनीक और किस्में विकसित की जाएं, लेकिन उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए जेनेटिक मॉडीफाइड तकनीक को भी अनुमति नहीं दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि जेनेटेकि इंजीनियरिंग एप्रूवल कमिटी ने ट्रांसजेनिक सरसों के फील्ड ट्रायल एवं व्यावसायिक प्रयोगों की स्वीकृति दी है, लेकिन हम अभी यह जोखिम नहीं लेंगे। सैनी ने कहा कि राजस्थान को सरसों प्रदेश बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। उम्मीद है कि राज्य जल्द सरसों प्रदेश घोषित हो जाएगा, इसके बाद प्रदेश में सरसों की खेती और सरसों से संबंधित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में सरसों के अधिक उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता एवं नीति निर्धारण हेतु भविष्य का रोड मैप तैयार होगा।
देश में पहली बार राजस्थान में उत्पादित होगा जैतून शहद
कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि राजस्थान में देश में पहली बार जैतून से शहद उत्पादित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन सरकारी फार्मों पर जैतून का उत्पादन हो रहा है, वहां बीकीपिंग बॉक्स रखवाए जा रहे हैं, उम्मीद है कि इस सीजन में जैतून शहद का उत्पाद शुरू हो जाएगा। सैनी ने इस संबंध में आवश्यक कार्ययोजना बनाने के लिए अधिकारियों को भी निर्देशित किया।
इस कार्यशाला में जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी नीलकमल दरबारी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (फसल), डॉ. जे.एस.संधु, भारत सरकार के तिलहन क्षेत्र के परामर्शक डॉ. जेपी सिंह सहित बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।
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