जानकारी के अनुसार, रामेश्वर की बेटी पूजा की दो साल की उम्र में मौत
हो गई थी। उसने बड़ी मुश्किल से हरिद्वार के गाधारोना गांव में तेजपाल के
घर मृत दूल्हे की तलाश की। शादी के बाद विदाई भी की गई। करीब पचास बाराती
बारात लेकर पहुंचे थे।
बाल विवाह का विरोधी यह गांव बच्चों के मरने के
बाद उनके बालिग होने पर ही उनका विवाह करता है। यहां मान्यता है कि ऐसा
करने से उनकी मृत संतान भी अविवाहित नहीं रहती है। इस दौरान बैंड-बाजे के
साथ बारात मृत कन्या पक्ष के दरवाजे पर आती है और शादी की सभी रस्में भी
पूरे रीति-रिवाज के साथ संपन्न कराई जाती हैं। यही नहीं कन्या पक्ष अपने
सामर्थ्य के अनुसार वर पक्ष को दान-दहेज भी देता है।
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