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रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान: राजस्थान का वन्य वैभव, जहां प्रकृति और इतिहास साथ देते हैं बाघों का पहरा

भारत के गौरवशाली वन्य धरोहरों में से एक – रणथंभौर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे प्रसिद्ध वन्य अभयारण्यों में से एक है। यह न केवल अपने बाघों के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां का ऐतिहासिक वैभव, किलों की गाथा और समृद्ध पारिस्थितिकी इसे और भी अद्वितीय बनाते हैं। कुल 1,334 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान उत्तर में बनास नदी और दक्षिण में चंबल नदी से घिरा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं। इसका नाम इसके मध्य में स्थित रणथंभौर किले से पड़ा है, जो यहां की पहचान बन चुका है। इतिहास, संस्कृति और वन्यजीवों का यह संगम न केवल भारत के संरक्षण प्रयासों का प्रतीक है, बल्कि हर प्रकृति प्रेमी और पर्यटक के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव भी प्रदान करता है।

स्थापना और इतिहास: शिकारस्थली से राष्ट्रीय धरोहर तक

रणथंभौर की कहानी 1955 से शुरू होती है, जब इसे सवाई माधोपुर गेम सैंक्चुअरी के रूप में स्थापित किया गया था। उस समय यह लगभग 282 वर्ग किलोमीटर में फैला था। बाद में, 1974 में इसे ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत भारत के चुनिंदा टाइगर रिज़र्व्स में शामिल किया गया। इसके बाद 1980 में इसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
आज यह उद्यान कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य और सवाई मान सिंह अभयारण्य से मिलकर बना है। मिलकर ये तीनों मिलकर एक विस्तृत वन्यजीव कॉरिडोर बनाते हैं, जो राजस्थान की पारिस्थितिकी को स्थिरता प्रदान करता है।
भौगोलिक स्वरूप और प्राकृतिक सुंदरता
रणथंभौर का भौगोलिक परिदृश्य अद्भुत विविधता से भरा हुआ है। यहां शुष्क पर्णपाती वन, खुले घास के मैदान, पत्थरीले भूभाग और झीलों का जाल इसे अन्य उद्यानों से अलग पहचान देता है। यहां की ऊंचाई लगभग 215 से 505 मीटर के बीच है, जो इसे गर्म और शुष्क जलवायु के बावजूद जैव विविधता के लिए अनुकूल बनाती है।
उद्यान के मध्य में स्थित रणथंभौर किला, 10वीं शताब्दी में चाहमान वंश द्वारा निर्मित कराया गया था। यह लगभग 210 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, जहां से पूरे जंगल का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। किले के भीतर भगवान गणेश, शिव और रामलला के मंदिर हैं, वहीं जैन धर्म के अनुयायियों के लिए सुमतिनाथ और सम्भवनाथ के प्राचीन मंदिर भी मौजूद हैं।
किले के पास स्थित पदम तालाब इस उद्यान की सबसे बड़ी झील है, जिसके किनारे बना जोगी महल लाल बलुआ पत्थर की भव्य इमारत के रूप में इतिहास की यादें संजोए हुए है।
वनस्पति: हरियाली के अनेक रंग
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में 300 से अधिक पेड़-पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 100 से ज्यादा औषधीय महत्व की हैं। यहां के जंगल मुख्य रूप से खटियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र का हिस्सा हैं, जहां धोक, सालार, बेर, बबूल और नीम जैसे पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
यहां की वनस्पति न केवल स्थानीय जलवायु को संतुलित करती है, बल्कि जंगली जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास भी प्रदान करती है।
जीव-जंतु: बाघों का राज्य और जीवंत जंगल
रणथंभौर की पहचान इसके बाघों से है। यह भारत के उन कुछ अभयारण्यों में से है, जहां बंगाल टाइगर खुले में सहज रूप से देखे जा सकते हैं। यहां के जंगल में चीतल, सांभर, काला हिरण, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सूअर, लंगूर, रीसस मकाक, और सियार जैसी प्रजातियां भी बड़ी संख्या में मिलती हैं।
इसके अलावा यहां तेंदुआ, कैराकल, धारीदार लकड़बग्घा, और सुस्त भालू जैसे शिकारी भी पाए जाते हैं। उद्यान में 270 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां दर्ज की गई हैं — जिनमें मोर, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, पेंटेड फ्रैंकोलिन, और इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर प्रमुख हैं। यह विविधता रणथंभौर को पक्षी प्रेमियों के लिए भी एक स्वर्ग बना देती है।
बाघों की जनगणना और संरक्षण
रणथंभौर का सबसे बड़ा आकर्षण हमेशा से इसके बाघ रहे हैं। हालांकि, अतीत में अवैध शिकार और पर्यावरणीय दबावों के कारण इनकी संख्या में गिरावट आई थी। 2005 में जहां केवल 25 बाघ थे, वहीं 2013 में यह संख्या बढ़कर 48 हुई। नवीनतम 2022 की जनगणना के अनुसार, अब यहां 69 बाघ हैं।
यह वृद्धि संरक्षण प्रयासों की सफलता का प्रमाण है। ‘प्रोजेक्ट टाइगर’, स्थानीय वन विभाग और समुदायों के सहयोग से रणथंभौर में वन्यजीव संरक्षण की नई मिसाल स्थापित हो रही है।
आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व
रणथंभौर केवल वन्यजीवों का घर नहीं, बल्कि एक आर्थिक और पर्यावरणीय संपदा भी है। एक अध्ययन के अनुसार, यह राष्ट्रीय उद्यान हर वर्ष लगभग 8.3 अरब रुपये का पारिस्थितिक लाभ उत्पन्न करता है।
इन लाभों में जीन-पूल संरक्षण, स्थानीय क्षेत्रों को जल आपूर्ति, वन्यजीवों के लिए आवास, कार्बन अवशोषण, और पोषक चक्रण जैसी सेवाएं शामिल हैं। पर्यटन भी यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता है।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान भारत की जैव विविधता और ऐतिहासिक धरोहर का अनूठा संगम है। यहां का हर कोना प्रकृति की लय में धड़कता है — बाघों की दहाड़, मंदिरों की घंटियां और झीलों का सन्नाटा, सब मिलकर एक जीवंत कविता का रूप लेते हैं।
यह उद्यान न केवल भारत की पर्यावरणीय विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि जब मानव और प्रकृति साथ चलते हैं, तो सृष्टि और भी खूबसूरत हो जाती है।

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Web Title-Ranthambhore National Park: The royal wilderness of Rajasthan where history meets the tigers roar
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