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दौसा : राजस्थान की धड़कन और नया पर्यटन आकर्षण

राजस्थान की धरती अपने सांस्कृतिक वैभव, ऐतिहासिक धरोहरों और जीवंत परंपराओं के लिए जानी जाती है। इसी कड़ी में दौसा भी अब तेजी से एक ऐसे पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है, जहां आने वाले पर्यटक न सिर्फ राजस्थान की असली झलक देख सकते हैं, बल्कि ग्रामीण जीवन की उस सादगी को भी अनुभव कर पाते हैं, जो आधुनिक समय में कहीं खोती जा रही है। जयपुर और भरतपुर जैसे प्रमुख शहरों के बीच स्थित यह जिला अब धीरे-धीरे पर्यटकों की पसंदीदा सूची में जगह बना रहा है। राजस्थान की धरती का हर कोना अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक झलक के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है दौसा, जो जयपुर से लगभग 55 किलोमीटर और दिल्ली से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। छोटा सा नज़र आने वाला यह शहर आज अपने आप को एक प्रमुख पर्यटन क्षेत्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। 1991 में जयपुर से अलग होकर जिला बने दौसा का ऐतिहासिक महत्व अत्यंत समृद्ध रहा है। यह कभी राजपूतों की पहली राजधानी भी रहा है। सम्राट अकबर ने भी अजमेर की यात्रा के दौरान कुछ समय यहाँ बिताया था। इतना ही नहीं, लाल किले पर फहराए गए पहले तिरंगे का निर्माण भी यहीं के आलूदा गाँव में हुआ था। दौसा की पहचान है – राजस्थानी संस्कृति की झलक, प्राचीन मंदिर, भव्य किले और अद्वितीय स्थापत्य कला।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनूठा संगम

दौसा का इतिहास अपने आप में अद्भुत है। यहां मौजूद प्राचीन किले, बावड़ियां, मंदिर और शिल्पकला पर्यटकों को राजस्थान की समृद्ध परंपरा का अनुभव कराते हैं। अबनेरी गांव का प्रसिद्ध ‘चांद बावड़ी’ न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी अद्वितीय संरचना के लिए मशहूर है। इसकी अनगिनत सीढ़ियां और गहराई पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इसके अलावा हरशद माता मंदिर भी इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
प्रमुख पर्यटन स्थल
1. चांद बावड़ी (आभानेरी)

करीब 1900 वर्ष पुरानी यह बावड़ी एशिया की सबसे प्राचीन सीढ़ीदार बावड़ियों में गिनी जाती है। इसकी अद्भुत समरूपता और स्थापत्य देखकर हर पर्यटक दंग रह जाता है। यह न केवल जल संचयन का उदाहरण है, बल्कि राजस्थान की प्राचीन इंजीनियरिंग का अद्भुत प्रतीक भी है।
2. हरशद माता मंदिर
चांद बावड़ी के पास स्थित यह प्राचीन मंदिर देवी हरशद माता को समर्पित है। आक्रमणकारियों ने भले ही इसे खंडहर में बदल दिया हो, लेकिन आज भी इसके स्तंभों और दीवारों पर की गई नक्काशी देखने वालों को अचंभित कर देती है। यहाँ के खंडहर पुराने वैभव की गाथा सुनाते हैं।

3. भंडारेज गाँव और भद्रवती पैलेस

दौसा से कुछ दूरी पर स्थित यह गाँव अपनी भव्य बावड़ियों और दीवारों के लिए जाना जाता है। यहाँ का भद्रवती पैलेस आज भी राजसी ठाट-बाट की अनुभूति कराता है। महल के हरे-भरे बगीचे और आलीशान कमरे पर्यटकों को शाही अनुभव प्रदान करते हैं।
4. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहाँ मानसिक कष्टों और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। हजारों श्रद्धालु यहाँ आकर शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
5. माधोगढ़ किला
राजा माधव सिंह द्वारा बनवाया गया यह किला पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। आज इसे एक शाही होटल में परिवर्तित कर दिया गया है, जहाँ पर्यटक परंपरागत राजस्थानी आतिथ्य का अनुभव कर सकते हैं।
6. झझिरमपुरा
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है झझिरमपुरा। यहाँ रुद्रेश्वर महादेव और बालाजी के प्राचीन मंदिर हैं। पहाड़ियों और जलस्रोतों से घिरा यह स्थल सुकून और शांति की तलाश करने वालों के लिए उत्तम जगह है।
7. लोटवारा किला
17वीं शताब्दी में बने इस किले को ठाकुर गंगा सिंह ने बनवाया था। यह किला आभानेरी से महज 11 किलोमीटर दूर है और आज भी अपने ऐतिहासिक वैभव का प्रतीक है।

यात्रा का सही समय

दौसा सालभर देखा जा सकता है, लेकिन अक्टूबर से मार्च का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे उपयुक्त है। सर्दियों में मौसम सुहावना रहता है और पर्यटक आराम से भ्रमण कर सकते हैं। गर्मियों में यहाँ का तापमान 40 डिग्री तक पहुँच जाता है, जिससे यात्रा थोड़ी कठिन हो जाती है।
निष्कर्ष
दौसा राजस्थान का वह हिस्सा है जो अपनी सांस्कृतिक विरासत, प्राचीन धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता के कारण पर्यटकों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है। यह शहर छोटे-से क्षेत्र में राजस्थान की असली झलक दिखा देता है – कभी भव्य किलों और मंदिरों के रूप में, तो कभी लोक संस्कृति और अध्यात्म के रूप में। अगर आप राजस्थान की आत्मा को करीब से देखना चाहते हैं, तो दौसा की यात्रा ज़रूर करें।

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Web Title-Dausa The heartbeat of Rajasthan and a new tourist attraction
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