तेल अवीव| इजराइल में इस हफ्ते की शुरुआत में संसदीय चुनाव हुए। लेकिन, अंतिम परिणाम आने के बाद भी गतिरोध अभी समाप्त नहीं हो पाया है क्योंकि सरकार बनाने के लिए न तो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और न ही उनके विरोधियों को बहुमत मिल पाया है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनावों की देखरेख करने वाली केंद्रीय चुनाव समिति ने एक बयान में कहा कि नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी और उसके सहयोगियों ने 120 सीटों वाली संसद में 52 सीटें जीतीं, जबकि सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री के विरोधियों ने 57 सीटों पर कब्जा किया। लिकुड ने पिछले चुनावों में 36 में से 30 सीटें जीती थीं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पूर्व वित्त मंत्री याएर लापिड के नेतृत्व में यश एटिड की मध्यमार्गी पार्टी 17 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
गुरुवार को लापिड ने गठबंधन सरकार बनाने के उद्देश्य से कई बैठकें की। लेकिन, इजरायल की शासन व्यवस्था में सरकार का गठन उस उम्मीदवार द्वारा किया जाता है जो कम से कम गठबंधन में 61 सीटों का जादुई आंकड़ा हासिल कर ले।
नेतन्याहू ने तीन दलों का समर्थन हासिल किया है, जिन्होंने क्रमश: छह, सात और नौ सीटें जीती हैं।
वह अपनी पूर्व सहयोगी यामिना की नेता नफ्ताली बेनेट के समर्थन की भी उम्मीद करते हैं। इस पार्टी ने सात सीटें जीती हैं।
इस्लामवादी पार्टी रायम ने चार सीटें जीती हैं। यह पार्टी अब नेतन्याहू के नेतृत्व वाले गठबंधन या उनके विरोधियों के नेतृत्व वाली सरकार के बीच सत्ता का संतुलन बन गई है।
रायम पार्टी के नेता मंसूर अब्बास ने बुधवार को कहा कि वह किसी भी गठबंधन में शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं करते हैं।
मंगलवार के चुनावों से पहले, जो दो साल में चौथा था, नेतन्याहू ने कहा कि वह रायम के साथ गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं करेंगे।
नेतन्याहू की यहयोगी पार्टी ब्लू एंड व्हाइट ने आठ सीटें जीती हैं। हाल ही में गठित न्यू होप पार्टी ने छह सीटों पर कब्जा किया है।
उम्मी की जा रही है कि राष्ट्रपति रेवेन रिवलिन को अगले हफ्ते आधिकारिक रूप से चुनाव परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
इसके बाद पार्टी प्रमुखों से विचार-विमर्श शुरू करेंगे और फिर इस बात की घोषणा करेंगे कि अगली सरकार बनाने के लिए किसे आमंत्रित किया जाएगा।
चुनाव अनिश्चितकालीन परिणाम और लंबे समय तक राजनीतिक गतिरोध के बाद हुए थे। नेतन्याहू तीन अलग-अलग मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों पर आपराधिक मुकदमे का सामना करते हुए अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
--आईएएनएस
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