केरल। सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई। आपको बता दें कि नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन ने याचिका दायर की है और इस याचिका में कहा गया है कि जो महिलाएं आयु पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आई थीं वह अयप्पा भक्त नहीं हैं। ये फैसला लाखों अयप्पा भक्तों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है।
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याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिका कर्ताओं का मानना है कि कोई भी कानूनी विद्वान यहां तक कि सबसे बड़ा न्यायवादी या न्यायाधीश भी जनता के सामान्य ज्ञान जैसा नहीं हो सकता। इस देश में उच्चतम न्यायिक न्यायाधिकरण की कोई न्यायिक घोषणा नहीं है। पूरे मामले में दिलचस्प बात यह है कि केवल याचिकाकर्ता और पक्षकार ही पुनर्विचार याचिका दायर करते हैं जबकि यहां ये याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के सितंबर के फैसले में पक्षकार नहीं हैं।
आपको बता दें, 8 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को हरी झंडी दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया था और इस प्रथा को असंवैधानिक करार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सबरीमाला मंदिर के दरवाजे सभी महिलाओं के लिए खोल दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले तक 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
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