नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल जैसे भारत के संवैधानिक पदों के अधिकारियों को जल्द ही वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर लेना होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कोर्ट ने कहा, ‘इन अधिकारियों के वाहनों को उचित पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता है और सभी वाहन स्पष्ट रूप से रजिस्ट्रेशन नंबर प्रदर्शित करें।’ दिल्ली हाई कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार से विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा था। इसके बाद सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक खंडपीठ के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा था कि उसने इन वाहनों को पंजीकृत करने के लिए संबंधित अधिकारियों को लिखा है।
दरअसल, इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि संवैधानिक पदों पर बैठे कई लोगों की गाडिय़ां मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं है। बिना रजिस्ट्रेशन के गाडिय़ां आसानी से आतंकियों का निशाना हो सकती हैं। इसके अलावा इन गाडिय़ों से हादसा होने पर पीडि़त बीमा की राशि के लिए भी दावा नहीं कर सकता। पीआईएल दायर करने वाले एनजीओ के सचिव राकेश अग्रवाल ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से मोटर वाहन अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं होने पर राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति, राज निवास और प्रोटोकॉल डिवीजन द्वारा उपयोग की जाने वाली कारों को जब्त करने के निर्देश मांगे थे।
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