नई दिल्ली। हिंदी जगत के प्रसिद्ध आलोचक व साहित्यकार नामवर सिंह का मंगलवार देर रात यहां निधन हो गया। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रामा सेंटर में मंगलवार देर रात उन्होंने आखिरी सांस ली। खराब सेहत की वजह से पिछले कुछ समय से वह एम्स में भर्ती थे। वह 92 वर्ष के थे। उनके जाने से हिदी जगत में जो खालीपन पैदा हुआ है, वह शायद ही कभी भर पाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को वाराणसी के एक गांव जीयनपुर (अब चंदौली) में हुआ था। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमए किया और पीएचडी की उपाधि हासिल की और फिर वहीं पर पढ़ाया। उन्होंने उसके बाद सागर और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया। उसके बाद सेवानिवृत्ति तक वे दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पढ़ाते रहे।
साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में आलोचना को नई ऊंचाईयां प्रदान कीं।
अध्यापन करने के साथ उन्होंने बेहतरीन रचनाओं का सृजन किया। उनकी प्रमुख रचनाओं में छायावाद, इतिहास और आलोचना, वाद विवाद और संवाद, कविता के नए प्रतिमान शामिल हैं।
उन्होंने आलोचना और जनयुग के संपादन का भी कार्य किया।
इसके अलावा उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया था, लेकिन उन्हें खास सफलता नहीं मिली। 1959 में चकिया-चंदौली लोकसभा सीट से वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की तरफ से चुनाव मैदान में भी उतरे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वे हिंदी जगत के एक ऐसे शिखर आलोचक थे, जिन्हें साहित्य व आलोचना के क्षेत्र में योगदान के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।
(आईएएनएस)
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