लखनऊ। गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी को पटखनी देने के बाद अब विपक्ष की कैराना और नूरपुर उपचुनाव पर निगाह टिकी है। इस बीच यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैराना में चुनाव प्रचार नहीं करने का फैसला किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वहीं, ऐसी भी संभावना है कि अखिलेश नूरपुर में भी चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। बताया जा रहा है कि महागठबंधन को आशंका है कि कैराना में चुनाव प्रचार और बड़ी रैलियों का दांव उल्टा पड़ सकता है और इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मौका मिल जाएगा। अखिलेश यादव को आरएलडी और एसपी के स्टार प्रचारक की लिस्ट में रखा गया था। सूत्रों का कहना है कि एसपी और आरएलडी का यह मानना है कि बड़ी रैलियों से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है और यह बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है।
महागठबंधन की नजरें जाट और गुर्जर वोट बैंक पर है। कैराना और नूरपुर में दलितों और मुस्लिमों की कुल आबादी 40 फीसदी के करीब है।
अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार नहीं करने के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए एसपी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि यह पार्टी का फैसला है कि सार्वजनिक रैलियों की जगह घर-घर जाकर चुनाव प्रचार किया जाए। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता इस काम में लगे हैं और अखिलेश यादव उनसे लगातार संपर्क में हैं।
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