अमरीश मनीष शुक्ला,इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस बार यूपी बोर्ड की नकल विहीन
परीक्षा कराने पर अडी हुई है और उसका असर भी दिखने लगा है। 4 दिन में 10
लाख 44 हजार 619 छात्र छात्राओं ने बोर्ड की परीक्षाएं छोड़ दी है ।
नकलविहीन परीक्षा का जो असर अब दिख रहा है यह कहीं ना कहीं यूपी की कल्याण
सिंह सरकार के जैसा ही है । 1992 में कल्याण सिंह की सरकार में नकलचियों पर
सही मायनों में नकेल कसी गई थी और हाईस्कूल का रिजल्ट 30 परसेंट पर सिमट
गया था, जबकि इंटरमीडिएट का पासिंग परसेंटेज सिर्फ 29 परसेंट था। उस समय
नकलचियों को गिरफ्तार कर सीधे जेल भेजा जा रहा था और नकल पर पूरी तरीके से
प्रतिबंध लगा दिया गया था।
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सिहर उठते हैं नकलची
आलम यह है कि आज भी कल्याण सिंह के उस जमाने को याद करके नकलची सिहर उठते
हैं । गांव-गांव में इक्का दुक्का लोग ही कल्याण सिंह के समय में बोर्ड की
परीक्षा को पास कर सके थे। यूपी की योगी सरकार को भी उसी कल्याण सरकार से
अब कंपेयर किया जा रहा है और माना जा रहा है कि बोर्ड परीक्षा के मामले में
कल्याण सिंह सरकार की ही वापसी हो रही है। पूरे उत्तर प्रदेश के जेहन में
इस वक्त सबसे बड़ा यही सवाल है कि क्या जिस तरह कल्याण सिंह सरकार में
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद का रिजल्ट सबसे कम था क्या वैसा ही
रिजल्ट इस बार देखने को मिलेगा।
चली गई थी सरकार
हालांकि उस बोर्ड परीक्षा के बाद भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा
था, लेकिन इस बार पूर्ण बहुमत की योगी सरकार अपने फैसले लेने, नियम बनाने
और पालन कराने के लिये किसी गठजोड़ की मोहताज नहीं है।। फिलहाल एशिया के
सबसे बड़े शैक्षणिक बोर्ड यूपी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद
हाईस्कूल व इंटर की बोर्ड परीक्षाएं इस वक्त चल रही है । नकल रोकने के लिए
सरकार ने कड़े इंतजाम किए हैं जिसका असर अब देखने को मिल रहा है । यूपी
बोर्ड के इतिहास में यह पहला मौका है जब सिर्फ 4 दिन में 10 लाख 44 हजार
619 छात्र छात्राओं ने परीक्षा दी है ।अभी हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाएं भी
बाकी है और संभावना है कि यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा।
क्या है सुरक्षा के इंतजाम
उत्तर प्रदेश की पिछली अखिलेश सरकार, मायावती सरकार और मुलायम सरकार से अगर
योगी सरकार को बोर्ड परीक्षा के मामले में कंपेयर किया जाए तो इस बार
नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। परीक्षा केंद्रों
पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं , डीएम एसएसपी से लेकर एसटीएफ, एलआयू तथा
लोकल पुलिस को नकलविहीन परीक्षा करने के लिए जिम्मेदारियां दी गई हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा खुद
परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण कर रहे हैं। इस बार मनमाने परीक्षा केंद्र
नहीं बनाए गए हैं नियमावली के तहत परीक्षा केंद्रों का कंप्यूटर से
निर्धारण हुआ है। काली सूची में रहे स्कूलों को परीक्षा केंद्र नहीं बनने
दिया गया है । परीक्षा केंद्र पर तैनात केंद्र व्यवस्थापक व प्रधानाचार्य
की जिम्मेदारी तय की गई है और सामूहिक नकल होने पर उन्हें भी जेल भेजे जाने
का नियम बनाया गया है। परीक्षा केंद्रों के आसपास कहीं भी फोटोकॉपी की
दुकान न चलने देने का आदेश है। जबकि नकल माफियाओं के खिलाफ इस बार कानूनी
प्रक्रिया के तहत गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह
सबकुछ नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए किया जा रहा है।
पुलिस ने तैयार किया खाका
यूपी बोर्ड ने नोडल अधिकारी के रूप हर जिले में एसपी रैंक के अधिकारी की
नियुक्ति की है। हर जिले के परीक्षा केंद्र को सुपर जोन, जोन और सेक्टर में
बांटा गया है। सुपर जोन के प्रभारी एडिशनल एसपी है और जोन की जिम्मेदारी
सीओ के कंधे पर है। जबकि सभी सेक्टर थाना इंचार्ज को दिये गये हैं और यह
शांति व्यवस्था के साथ सुचारू रूप से परीक्षा संपन्न करा रहे हैं। इसके
अलावा प्रत्येक सर्किल मुख्यालय पर क्यूआरटी भी बनाई गई है जो सीओ के
निर्देश पर काम कर रही है। इन सभी परीक्षा केंद्रों पर एक दरोगा के साथ 3
कांस्टेबल परीक्षा ड्यूटी कर रहे हैं।इनके कंधों पर बाहरी नकल माफियाओं के
अंदर जाने पर रोक लगाने व शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी है। परीक्षा में
खलल न पडने देना इनका महत्वपूर्ण काम है।
नकल माफियाओं पर गैंगस्टर
यूपी बोर्ड की परीक्षा में नकल माफियाओं की मुश्किलें बढ़ गयी है, क्योंकि
नकल माफिया अगर पकड़े गये तो उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी,
जिसके तहत उनके विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट गुंडा एक्ट में कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने परीक्षा केंद्रों के 100 मीटर के दायरे में बाहरी व्यक्तियों की
एंट्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और जो भी जो भी इस दायरे में अंदर आने
की कोशिश करेगा वह नकल माफिया ही माना जाएगा और उसके विरुद्ध पुलिस एक्शन
लेगी।
परीक्षा छोड़ने वालों का रिकॉर्ड
यूपी बोर्ड की परीक्षाएं जब खत्म हो जाती हैं उसके बाद कितने
परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी इस पर चर्चा होती है, लेकिन यह पहला ऐसा
मौका है जब सिर्फ 4 दिनों के अंदर ही रिकॉर्ड तोड़ परीक्षार्थियों ने
परीक्षा से मुंह मोड़ लिया है । यूपी बोर्ड के इतिहास की बात करें तो यह
पहला मौका होगा जब इतने अधिक संख्या में परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी
है
वर्ष 2013 में 564638 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी थी, जबकि इसके बाद
2014 में हुई बोर्ड की परीक्षा में 611514 परीक्षार्थियों ने परीक्षा
छोड़ी। 2015 की बोर्ड परीक्षा में 595446 अभ्यर्थियों ने परीक्षा छोड़ी
थी। इसके बाद 2016 में यह आंकड़ा 645024 छात्र छात्राओं तक पहुंचा । जबकि
2017 में बोर्ड परीक्षा छोड़ने वाले छात्र छात्राओं की संख्या 535494 थी,
लेकिन इस बार 2018 में हो रही यूपी बोर्ड की परीक्षा में सिर्फ 4 दिन के
अंदर ही बोर्ड परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या 10 लाख के ऊपर पहुंच चुकी
है।
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