अमरीष मनीष शुक्ला, इलाहाबाद। सुप्रीम कोर्ट से खुद को उपेक्षित मान चुके शिक्षामित्रों ने
बुधवार को जमकर प्रदर्शन किया। जिससे समूचा उत्तर प्रदेश प्रभावित हुआ है। इसका असर भी हुआ। योगी सरकार देर शाम बैकफुट डिफेंस करती नजर आई। सरकार अब
बीच का कोई रास्ता निकालना चाहती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जिसके लिये शिक्षा विभाग और
शिक्षामित्रों के संग अब मैराथन बैठक होगी। जिसमें समस्या का हल खोजा
जाएगा। इस संदर्भ में योगी सरकार की ओर से जारी हुआ पत्र देर शाम सूचना
विभाग के जरिये शिक्षामित्र संगठनों को भी भेजा गया। जिसमें योगी सरकार ने
अपील करते हुए कहा कि सभी शिक्षामित्रों से सरकार को पूर्ण सहानुभूति है। वह संयम और धैर्य बनाए रखें तथा किसी प्रकार की अप्रिय घटना न होने दें।
राज्य सरकार ऐसे समाधान में विश्वास रखती है, जिससे कानून की मर्यादा
अक्षुण्ण रहे और समस्या का तर्कसंगत एवं विधि सम्मत समाधान सम्भव हो सके।
योगी सरकार ने शिक्षामित्रों की समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से
शिक्षामित्रों के राज्य स्तरीय प्रतिनिधिमण्डलों के साथ अपर मुख्य
सचिव बेसिक शिक्षा को चर्चा करने के लिये अधिकृत किया है।
याद दिला दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को अपने आदेश में परोक्ष रूप से
शिक्षामित्रों के टीचर पद पर समायोजन को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट
ने टीचर के लिये अनिवार्य टीईटी परीक्षा को शिक्षामित्रों के लिये भी
अनिवार्य कर दिया है। इस आदेश से शिक्षामित्र भड़क गये। उन्होंने इस आदेश को
अपने खिलाफ माना और सड़क पर उतर आया। बुधवार को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन,
चक्काजाम, तोड़फोड़, आगजनी की घटनाएं तो हुई। इन घटनाओं से प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को
चुस्त-दुरुस्त रखने के लिये सरकार ने अपनी ओर से बातचीत की पहल शुरू की है।
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