नागरकुरनूल। श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कनाल (एसएलबीसी) सुरंग में शनिवार की सुबह मजदूरों और इंजीनियरों के लिए एक सामान्य दिन की तरह ही शुरू हुई थी। लेकिन शायद किसी को अंदाज़ा नहीं था कि कुछ ही घंटों में यह दिन डरावनी रात में बदल जाएगा।
सुबह 8:30 बजे: नागरकुरनूल जिले के अमराबाद मंडल के डोमलपेंटा गांव के पास स्थित इस निर्माणाधीन सुरंग में मजदूर रोज़ की तरह अपने काम में जुटे थे। यह सुरंग तेलंगाना के सबसे अहम जल परियोजनाओं में से एक का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य लाखों लोगों तक पानी पहुंचाना था। लेकिन अचानक, जब मजदूर सुरंग के भीतर 14वें किलोमीटर पर काम कर रहे थे, तो एक अजीब-सी आवाज़ आई—मानो ज़मीन कांप उठी हो। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सुबह 9 बजे: देखते ही देखते सुरंग की छत का एक हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा और अंदर पानी भरने लगा। अंधेरे और धूल से भरी उस सुरंग में अफरातफरी मच गई। कुछ मजदूर किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन आठ लोग अंदर फंस गए। यह वो पल था जब बाहर खड़े लोगों को समझ आ गया कि हालात कितने भयावह हो चुके हैं।
बचाव अभियान शुरू: जैसे ही इस दुर्घटना की सूचना प्रशासन को मिली, एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य के लिए मौके पर भेजी गईं। सिंचाई विभाग, अग्निशमन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच चुके थे। तहसीलदार मारुति ने पुष्टि की कि फंसे हुए लोगों में कुछ तकनीकी कर्मचारी भी शामिल हैं।
फंसे मजदूरों की पहचान: सरकार ने उन आठ मजदूरों के नाम जारी किए, जिनमें दो उत्तर प्रदेश से, चार झारखंड से, एक जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से था।
तेलंगाना सरकार की प्रतिक्रिया: मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और अन्य अधिकारियों को तत्काल घटनास्थल पर रवाना किया। सिंचाई मंत्री ने स्थिति का जायजा लेने के बाद कहा कि यह दुर्घटना सुरंग की छत पर रिसाव के कारण हुई थी। हालांकि, विपक्षी नेता केटी रामा राव ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस दुर्घटना की गंभीरता को छिपाने की कोशिश कर रही है।
विपक्ष के आरोप: भारत राष्ट्र समिति (BRS) के सांसद केटीआर ने कहा, "अगर यह हादसा सुबह 8:30 बजे हुआ तो सरकार ने दोपहर तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया? क्या मजदूरों की ज़िंदगियां इतनी सस्ती हैं?"
अंधेरे में उम्मीद: सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों के परिवार वालों के लिए यह पल असहनीय थे। हर गुजरते मिनट के साथ उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। सुरंग के भीतर ऑक्सीजन की स्थिति क्या होगी? क्या पानी का स्तर बढ़ रहा है? क्या मजदूर ज़िंदा हैं? ये सवाल सभी के ज़ेहन में दौड़ रहे थे।
रात का सन्नाटा और उम्मीदों की रोशनी: बचाव दल हर संभव कोशिश कर रहा था, लेकिन सुरंग में लगातार पानी और कीचड़ के कारण अभियान में दिक्कतें आ रही थीं। मशीनें पूरी ताकत से काम कर रही थीं, लेकिन समय की दौड़ जारी थी।
अब सबकी निगाहें इस पर: क्या प्रशासन समय रहते सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाल पाएगा? क्या कोई और लापरवाही इस हादसे के पीछे छुपी है? तेलंगाना के इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि मजदूरों के जीवन के साथ हो रहे खिलवाड़ का प्रतीक भी है। अब सवाल यह है कि कौन जिम्मेदार होगा और क्या मजदूरों को वक्त रहते बाहर निकाला जा सकेगा?
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