जोधपुर/जयपुर। संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने इस मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। एसओजी में दर्ज इस मामले में शेखावत को गिरफ्तारी की आशंका है। वहीं इसी मुद्दे पर शेखावत द्वारा सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ कोर्ट में पेश किए गए केस के मामले में सीएम को राहत मिली है। कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसमें एक महीने का वक्त लगेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को लेकर बयानबाजी और एसओजी की संभावित कार्रवाई से पहले ही केंद्रीय मंत्री शेखावत अब अपना बचाव करते हुए दिखाई दे रहे हैं। शेखावत की ओर से अधिवक्ता युवराजसिंह ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की है। जल्द ही इस याचिका पर सुनवाई हो सकती है। कोर्ट में एसओजी में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई है।
मानहानि केस में जांच करेगी दिल्ली पुलिस
सीएम गहलोत के खिलाफ मानहानि केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट की ओर से फिलहाल समन जानी नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने गजेंद्र सिंह की मानहानि मामले में दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर को जांच के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होग।
गहलोत बोले थे - मैं जनता के खातिर सजा भुगतने को तैयार
गहलोत ने 21 मार्च को जोधपुर दौरे के दौरान भी संजीवनी घोटाले पर गजेंद्र सिंह पर आरोप लगाए थे। जोधपुर में गहलोत ने कहा था कि इस सोसायटी में गजेंद्र सिंह शेखावत की चलती है। संजीवनी में परिवार के लेनदेन हुए हैं। 'मेरे खिलाफ उन्होंने मानहानि का केस कर दिया। मैं तो सजा भुगतने के लिए तैयार हूं।
यह है संजीवनी घोटाला
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी राजस्थान सोसायटी एक्ट के तहत 2008 के तहत रजिस्टर्ड है। 2010 में इसे सोसायटी मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी के रूप में बदल दिया। इसके द्वारा लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया और जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने इसमें निवेश करना शुरू कर दिया। सोसायटी के प्रथम प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह थे, जिसे इस घोटाले का मास्टरमाइंड कहा जाता है और फिलहाल वो जेल में बंद हैं। तकरीबन 1 लाख से ज्यादा लोगों ने इस सोसायटी में करीब 900 करोड़ रुपए का निवेश किया था, लेकिन बाद में सोसायटी द्वारा लोगों को लौटाया नहीं गया।
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